चण्डीगढ़, 3 नवंबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राजनीतिक दलों का आहवान करते हुए कहा कि एक वर्ष तक चलने वाले स्वर्ण जयंती कार्यक्रमों का राजनीतिकरण न करें क्योंकि ये कार्यक्रम दल व सरकार से ऊपर उठकर जनभागीदारी के माध्यम से हरियाणा एक-हरियाणावी एक के मूलमंत्र के साथ आगे बढते हुए प्रदेश के विकास के लिए आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने राजनीतिक दलों से आग्रह करते हुए कहा कि वे हरियणा एक-हरियाणावी एक मूलमंत्र के साथ प्रदेश के विकास में अपना योगदान दें।
मुख्यमंत्री ने यह बात आज यहां पंचकूला में हरियाणा विधानसभा द्वारा आयोजित किए जा रहे हरियाणा के वर्तमान व पूर्व सांसदों व विधायकों के स्वर्ण जयंती सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह समय राजनीति करने का नहीं हैं बल्कि राजनीति से ऊपर उठकर चलने का समय हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति करने के लिए अभी बहुत समय बाकी हैं, अगले चुनाव से पहले दो वर्षों में राजनीति की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान 50 बडी घोषणाएं की जाएंगी, जिसमें से 13 बडी घोषणाएं अभी तक की जा चुकी हैं और इन घोषणाओं में से 6 घोषणाएं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को आनलाईन किया गया है जिसके परिणामस्वरूप गेहूं की मार्किट दरों में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि बडी योजनाएं समाज के लिए होती हैं इसी कडी में खुले में शौच मुक्त हरियाणा को करने के लिए सरकार की तरफ से भरसक प्रयास किए जा रहे हैं ताकि साफ सफाई रहें और स्वच्छता बनी रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा दिवस पर 1 नवंबर को ही रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने रोहतक में ऐलीवेेटेड रेलवे लाईन का शुभारंभ किया।
उन्होंने हरियाणा में अब तक रहे मुख्यमंत्रियों द्वारा किए गए विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्यो का जिक्र करते हुए कहा कि हरियाणा गठन के उपरांत किस प्रकार से राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा को प्रदेश चलाने में कठिनाईयों का सामना करना पडा होगा। हरियाणा प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा, ने नए राज्य का प्रशासनिक ढांचा खडा किया और पंजाब के साथ संसाधनों के बंटवारे में योगदान दिया। राव बीरेन्द्र सिंह ने अपने कार्यकाल में कृषि उपज का उचित मुख्य निर्धारण किया और किसानों के हित के लिए कार्य किए। चौधरी बंसी लाल ने राज्य में आधारभूत संरचना का निर्माण, विद्युतिकरण और पर्यटन को बढावा दिया। चौ देवी लाल ने कृषि और किसानों के उत्थान के लिए कार्य किया और सामाजिक सुरक्षा के कार्य शुरू किए। इसी प्रकार चौधरी भजन लाल ने राज्य के सामाजिक भाईचारे को मजबूत किया। श्री बनारसी दास गुप्ता ने प्रदेश के व्यापार और मास्टर हुकुम सिंह ने श्रमिक कल्याण को बढावा दिया। उन्होंने चौधरी देवी लाल का विशेष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बुजुर्गों के लिए 100 रूपए की पेंशन शुरू की थी जो अब बढकर 1600 रूपए प्रति माह हो गई है, जो एक ऐतिहासिक कदम था और देशभर में हरियाणा ने यह पहली बार आरंभ की थी।
उन्होंने कहा कि अभी हमें अपने लक्ष्य को पूरा करना हैं, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। उन्होंने कहा कि मंजिल पाने के लिए इरादा रखकर आगे चलना है और निश्चित रूप से आगे चलना है। उन्होंने विपक्ष का नाम लिए बिना उदाहरण देते हुए कहा कि विपक्ष को सुनने का अभ्यास नहीं हैं। उन्होंने कहा कि स्वर्ण जयंती का अवसर किसी दल व सरकार का नहीं हैं बल्कि प्रदेश का हैं, जो हमारी जन्म भूमि हैं। उन्होंने कहा कि यह हरियाणा के लोंगों की प्रगति का लक्ष्य हैं और दुनिया में अपने आपको खडा करना है।
मुख्यमंत्री ने गीता के प्रसंग के बारे में उदाहरण देते हुए कहा कि महाभारत काल में कौरव व पाण्डव चचेरे भाई थे और आपस में दुश्मन भी थे। गंधर्व जो गंधारी का भाई था उसका भी कौरवों के साथ झगडा व लडाई थी, इस पर गंधर्व ने पाण्डवों के सम्मुख यह कहा कि कौरव आपके और मेरे दोनों के दुश्मन हैं, चलो आओ हम दोनों मिलकर कौरवों को समाप्त करते हैं, इस पर पाण्डवों के बडे भाई युधिष्ष्ठिर ने कहा कि हम आपस में जरूर लडेंगें लेकिन यदि कोई बाहरी व्यक्ति हमसे लडेगा और तो उसके लिए हम 105 भाई हैं। अर्थात गीता के संदेश से यह निकलता है कि हरियाणा एक-हरियाणावी एक हैं। उन्होंने कहा कि हम एक थे, हम एक हंै और एक ही रहेंगें। उन्होंने कहा कि हम अपने इतिहास को भी जानेगें और उज्जवल भविष्य की कामना भी करेगें।
उन्होंने कहा कि गुरूग्राम में स्वर्ण जयंती उत्सव के उदघाटन समारोह का पहला कार्यक्रम हुआ है और आज पंचकूला में यह सम्मेलन दूसरा कार्यक्रम हैं और साल भर में ऐसे लगभग 75 कार्यक्रम होने हैं जो पूरे वर्ष आयोजित किए जाएंगे। गुरुगाम में स्वर्ण जयंती उत्सव के उदघाटन समारोह में आयोजित किया गया कार्यक्रम लगभग चार घंटे तक चला, जिसमें प्रदेश के इतिहास से लेकर अब तक के समयकाल को चलचित्र के माध्यम से दर्शाया गया। उन्होंने बताया कि पहली बार जैन कवि पुष्पदंत और श्रीधर ने 10वीं शती के साहित्य मे हरियाणा की पहचान उजागर की। कैथल के मीनाज ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक तब्काते नासिरी में भी इसका जिक्र किया गया। उन्होंने बताया कि शुडाणी के महान संत गरीबदासजी के बेटे जैतरामजी ने तो दूध दही के खान पान वाले हरियाणा की खूब महिमा गाई हैं। गुढयाणी के बाबू बालमुकुंद गुप्ता ने इसका पहला साहित्यिक नक्शा बनाया और डा. शंकरलाल यादव ने इसे लोक गीतों में जोडा और डा. केसी यादव, डा. जगदेव सिंह और प्रो. बूलचंद ने हरियाणा की अलग ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भाषाई और राजनैतिक पहचान बनाने से योगदान दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग हरियाणा की मांग आजादी के पहले ही शुरू हो गई थी। वर्ष 1923 में स्वामी सत्यानंद ने लाहौर में अलग से हरियाणा की मांग की थी, दीन बंधु छोटूराम और देशबंधू गुप्ता ने भी इस मांग को आगे बढाया। लंदन की दूसरी गोलमेज कान्फ्रेंस में जोफरी कारबेट ने अलग हरियाणा (अंबाला डिवीजन) का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव का महात्मा गांधी ने अनुमोदन किया। पट्टाभि सीतारमैया ने भारतीय भाषा सम्मेलन में हरियाणा का समर्थन किया। पंडित ठाकुरदास भार्गव और चौधरी रणवीर सिंह ने संवैधानिक सभा में अलग हरियाणा की बकालत की। उन्होंने कहा कि वर्ष 1954 में हरियणा के विधायकों व दूसरे लोगों ने प्रांत फ्रंट बनाया। जिसमें मुख्य भूमिका पंडित श्रीराम शर्मा, पंडित बाबुदयाल शर्मा, मास्टर नानुराम, चौ श्रीचंद, चौ सूरजमल, चौ. सूरजमल, चौधरी मारू सिंह मलिक, चौधरी धर्म सिंह राठी, कामरेड रणधीर सिंह, चौ निहाल सिंह तकसक, चौ राम सिंह, चौ इंद्र सिंह, चौ प्रताप सिंह दौलता सीपीआई अैर चौधरी लहरी सिंह जनसंघ आदि थे और थोडे समय बाद चौधरी देवी लाल, प्रो. शेर सिंह, बाबू मूलचंद जैन, चौ साहबराम, चौधरी बंसी लाल, श्रीमती शांता वशिष्ठ, जगदेव सिंह सिद्धांती, राव वीरेन्द्र सिंह और आचार्य भगवान देव भी इस आंदोलन में जुड गए।
उन्होंने बताया कि हिन्दी रक्षा आंदोलन के दौरान जनसंघ के डा. मंगल सैन, स्वामी रामेश्वरानंद तथा आर्य समाज के स्वामी भीष्म, डा. हरिप्रकाश, प्रो. शेर सिंह, प्रिंसीपल भगवान दास, आचार्य भगवान देव, जगदेव सिंह सिद्धांती, चौ धर्म सिंह राठी, चौ राम सिंह, पडित श्रीराम शर्मा, मास्टर नानूराम आदि ने हरियाणा की अलग पहचान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने बताया कि 1 नवंबर, 1966 को महाराजा हर्षवर्धन, संत शिरोमणि सूरदास, दिल्ली सम्राट हेमचंद्र बिक्रमादित्य हेमू का पवित्र हरिधान्यक, एक बार पुन: भारत के मानचित्र पर हरियाणा, अलग राज्य के रूप में अवतरित हुआ।
मुख्यमंत्री ने हरियाणा गठन के बाद अपने अस्तित्व में आये हरियाणा प्रदेश के शुरूआती दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि पहले बैल और ऊंट के माध्यम से खेती की जाती थी, क्योंकि तब ट्रैक्टर नहीं होते थे। उन्होंने कहा कि तब रेहट भी चला करते थे और उन दिनों में रोहतक के क्षेत्र में दाल व चने की खेती हुआ करती थी, जहां अब गेंहू की खेती की जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले लोग पैदल जाया करते थे, फिर साइकिल पर और अब हरियाणा के लोगों ने काफी प्रगति कर ली है।
इस मौके पर हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष श्री कंवर पाल, केन्द्रीय इस्पात मंत्री चौ. बीरेन्द सिंह, केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर, हरियाणा विधानसभा की उपाध्यक्ष श्रीमती संतोष यादव, हरियाणा के शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री राम बिलास शर्मा सहित अन्य वर्तमान एवं पूर्व केन्द्र व राज्य सरकार के मंत्री, सांसद व विधायक भी उपस्थित थे।
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