चंडीगढ़, 09 अप्रैल: पूरे विश्व में हर सैकेंड, डायबटीज के चलते एक मरीज का एक पैर या टांग अपनी मौजूदगी खो रहा है। भारत में भी हर साल एक लाख सेअधिक लोगों के अंग काटे जा रहे हैं क्योंकि अनियंत्रित डायबटीज के चलते उनके इन अंगों में काफी अधिक विकार पैदा हो गए हैं। देश में 62 मिलियन डायबटीज केमरीज हैं और 25 प्रतिशत से अधिक के पैरों में जिंदगी में किसी ना किसी समय पर घाव, अल्सर और जानलेवा संक्रमण हो सकता है।
अनियंत्रित
जाने माने स्पेशलिस्ट और डायरेक्टर, एंडोक्रिनोलॉजी, डॉ.एस.के.माथुर और प्लास्टिक सर्जन डॉ.ऋषि धवन ने आज प्रेस क्लब में एक पत्रकार सम्मेलन में संबोधित करतेहुए कहा कि इस बढ़ती समस्या को देखते हुए मैक्स सुपर स्पैशएलिटी हॉस्पिटल, मोहाली में एक सुगठित फुट केयर क्लीनिक को शुरू किया गया है। इस मौके पर संदीपडोगरा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष और जोनल हैड, मैक्स हॉस्पिटल्स ने कहा कि डायबेटिक मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने का सबसे आम कारण पैरों में होने वाला संक्रमण है, जो कि भर्ती होने के कारणों में 25 प्रतिशत तक है। ये भी अनुमान लगाया गया है कि इससे संबंधित जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता और एक मल्टी-डिसप्लनरी टीमद्वारा इलाज से एक डायबेटिक मरीजों में पैरों और टांग काटने के मामलों में 85 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है। संदीप डोगरा ने बताया कि मैक्स में पॉडिएट्री(फुट केयर) क्लीनिक की शुरुआत इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है, जिससे इन जानलेवा मुश्किलों की सही समय पर पहचान की जा सकेगी।
क्लीनिक डॉ.एस.के.माथुर और डॉ.ऋषि धवन की देखरेख में उन विशेषज्ञों के अनुभव, जानकारी और विशेषज्ञता के मिश्रण से डायबेटिक फुट प्रबंधन के क्षेत्र में मरीजों केरोगों की पहचान और थ्यूराप्यूटिक विकासक्रम पर विचार-विमर्श और समाधानों के बारे में प्रभावी कदम उठाएगा।
डॉ.माथुर ने कहा कि डायबटीज से नर्व सिस्टम को भी क्षति पहुंच सकती है और इसे पेरीफेरल न्यूरोपैथी भी कहा जाता है जो कि आपके पैरों की संवेदना को कम कर देतीहै। अगर आपके पास न्यूरोपैथी है, तो आप अपने पैर पर कोई धाव करवा सकते हैं या आपको ये पता भी नही चलेगा कि आपके पैर को मेडिकल इलाज की जरूरत है।छोटे छोटे घाव भी संक्रमित हो सकते हैं। डायबटीज से आपकी टांगों और पैरों में रक्त का प्रवाह प्रभावित हो सकता है। इससे ये कट्स के लिए सख्त हो सकता है और इसकेठीक होने में काफी समय लग सकता है।
इसके लक्षणों के बारे में बात करते हुए डॉ.धवन ने कहा कि पैरों में रक्त का प्रवाह कम होने के परिणामस्वरूप एक मरीज लेटने के बाद पैरों में दर्द महसूस कर सकता हैऔर जब पैरों को बेड की साइड पर लटकाने पर ही उन्हें राहत मिलती है, गैंगरीन हो सकता है या पैर की अंगुलियां काली पड़ सकती है या पैरों में अल्सर और टखनों यापैरों में सूजन आ सकती है।
Post a Comment