चंडीगढ़ 13 अप्रैल 2017। चंडीगढ़ नगर निगम की ओर से लाइसेंस फीस सालाना 1600 से एकदम बढ़ाकर 60 हजार तक कर दिए जाने से सैकड़ों गोल गप्पे, चार्ट और चना भठूरे बेचने वालों का गुस्सा उफान पर है। वीरवार को इस काम-धंधे से जुड़े दर्जनों लोग पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन से उनके आवास पर मिलकर ज्ञापन सौंपा। साथ ही एमसी की मोनोपॉली रोकने और न्याय दिलाने की गुहार लगाई। इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री धवन ने आश्वस्त किया है कि प्रशासन से मिलकर उन्हें निश्चित रूप से इंसाफ दिलाएंगे। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो संघर्ष भी करेंगे
 
पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन से मुलाकात के बाद गोल गप्पे, चार्ट और चना भठूरे बेचने वालों ने बताया कि चंडीगढ़ नगर निगम ने एक अप्रैल से उनकी लाइसेंस फीस बढ़ाकर 1,600 से सीधे 60,000 हजार कर दिए हैं। साथ ही बड़े गई फीस को 1 अप्रैल 2017 से लागू भी कर दिया गया है। एमसी की इस कार्यशैली को लेकर सम्बंधित काम-धंधे में लगे सैकड़ों लोगों में गुस्सा है। इस मसले को लेकर कभी भी आंदोलन छिड़ सकता है।
 
शहर के दर्जनों गोल गप्पे, चार्ट और चना भठूरे बेचने वालों का कहना है कि जब हरमोहन धवन केंद्र में मंत्री होते थे, तब उन्होंने ही वर्ष 1991 में गरीब लोगों को लाइसेन्स दिलवाया था। उस दौरान लाइसेंस फीस सिर्फ 50 रुपये साल के थे। बाद में मनमानी करते हुए एमसी ने फीस बढ़ाते-बढ़ाते 1600 रुपये कर दिए। इस पर भी सैकड़ों गोल गप्पे, चार्ट और चना भठूरे बेचने वालों ने धैर्य रखा, कभी विरोध या एतराज नहीं उठाया। पर इस बार एमसी ने सारी हदें पार करते हुए गरीबों के पेट पर लात मारने की कोशिश की है। हालत यह है कि अब लाइसेंस फीस बढ़ाकर 1,600 से कई गुणा अधिक 60,000 रुपये तक भिन्न भिन्न क्षेत्रों में कर दिए हैं। इसलिए उन्होंने धवन से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई है। उनके अनुसार धवन ने ही पहले रोजी-रोटी दी थी और अब धवन ही उजड़ने बचा सकते हैं। क्योंकि एमसी वाले न सिर्फ उनकी रोजी रोटी छिनने पर तुले हैं, बल्कि उजाड़ने की तैयारी कर चुके हैं। 
 
वहीं इस संबंध में जब पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन से बात की, तो उन्होंने कहा कि गोल गप्पे, चार्ट और चना भठूरे बेचने वालों की फीस 60 हजार रुपये सालाना करना सही नहीं है। इस पर एमसी को दोबारा विचार करना चाहिए। धवन का यह भी कहना था कि उक्त मुद्दे पर एमसी के आला अधिकारी से मुलाकात कर फीस कम कराने की मांग करेंगे। इसके बाद भी बात नहीं मानी गई तो फिर संघर्ष का ऐलान भी करेंगे।

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