मैक्स हॉस्पिटल में आज पीसीओएस क्लीनिक की शुरूआत की गई
मोहाली, 27 मई : मैक्स सुपर स्पैशिएलिटी हॉस्पिटल, मोहाली में आज एक नए पॉलिसिस्टिक ओविरियन डिजीज क्लीनिक की शुरुआत की गई।
इस मौके पर बात करते हुए डॉ.कामना नागपाल, एसोसिएट डायरेक्टर, ऑबस्ट्रेटिक्स एंड गाइनोकोलॉजी, मैक्स हॉस्पिटल ने बताया कि पॉलिसिस्टिक ओविरियन (डिम्बग्रंथि) सिंड्रोम, महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम हार्मोनल विकार है, जिसमें ओवरीज में अंडों को रिलीज नहीं किया जाता है लेकिन वे उनकी ओवरीज में छोटे छोटे सिस्ट पनपने लगते हैं। पीसीओएस, अनुवांशिक और बाहारी, दोनों कारणों से हो सकते हैं और ये हमारी जीवनशैली से भी प्रभावित होते हैं।’’

डॉ. कामना ने बताया कि विभिन्न स्टडीज से सामने आया है कि भारत में प्रत्येक पांच महिलाओं में से एक पीसीओएस से प्रभावित है और महिलाओं की आबादी में इनकी दर 22.5 प्रतिशत तक के अत्याधिक स्तर पर है। ये दर ग्रामीण आबादी की बजाए शहरी आबादी में काफी अधिक है।

इस आम विकार के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए डॉ.एस.के.माथुर, डायरेक्टर-एंडोक्रिनोलॉजी ने कहा कि पीसीओएस में महिला हार्मोन में असंतुलन और पुरुष हार्मोन्स पनपनेलगते हैं। सामान्य तौर पर ओवरी में पुरुष हार्मोन की मात्रा काफी कम होती है लेकिन पीसीओएस में पुरुष हार्मोन्स का उत्पादन बढऩे लगता है और परिणामस्वरूप मरह्वीज को पीसीओएस होने लगते हैं।

डॉ.माथुर ने बताया कि इसके परिणामस्वरूप मुंहासे, चेहरे और शरीर पर बाल और मोटापा बढऩे लगता है, जो कि युवा महिलाओं के लिए खूबसूरती के दृष्टिकोण से बेहद तनावपूर्ण होता है। इस प्रक्रिया में अंडों के निर्माण पर दबाव के चलते मासिक धर्म अनियमित हो जाता है और अप्रजनन की परिस्थिति बन जाती है। अगर इन मरीजों को पीसीओएस के साथ गर्भाधारण हो जाए तो इनमें सामान्य महिलाओं के मुकाबले गर्भपात के मामले दोगुना हो जाते हैं। इसके साथ ही गर्भावस्था संबंधित जटिलताएं भी बढ़ जाती हैं जैसे कि गर्भावस्था संबंधी मधुमेह, गर्भावस्था के चलते उच्च रक्तचाप, समय से पूर्व प्रसव और नवजात शिशु में विकार और मृत्यु आदि। उन्होंने बताया कि इन रोगों के लंबी अवधि तक बने रहने पर कई अन्य समस्याएं भी सामने आती हैं जिनमें अनिंद्रा, लिपिड प्रोफाइल में विकार, एंडोमेट्रियल कैंसर और हदृय रोग आदि।

डॉ.कामना ने आगे बताया कि पीसीओएस के साथ महिलाओं में अवसाद और चिंता बढऩा एक सामान्य बदलाव है लेकिन अक्सर इसका नजरअंदाज कियाज ाता है और ऐसे में इसका कोई इलाज भी नहीं करवाया जाता है। पीसीओएस के मरीजों पर मनोवैज्ञानिक तौर पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके चलते उनका वजन बढऩे लगता है, चेहरे और शरीर पर बालों का विकास काफी बढ़ जाता है, चेहरे पर मुंहासे हो जाते हैं, बाल झडऩे लगते हैं और ऐसी महिलाएं गर्भधारण करने में भी असमर्थ हो जाती हैं।

पीसीओएस से प्रभावित 34 प्रतिशत महिलाएं अवसादग्रस्त हो जाती हैं जबकि सामान्य आबादी में 7 प्रतिशत महिलाएं ही अवसाद का शिकार हैं। वहीं इसके मरीजों में 45 प्रतिशत महिलाएं चिंता का शिकार बन जाती हैं जबकि सामान्य आबादी में ये प्रतिशत 18 तक ही सीमित है। डॉ.नागपाल ने बताया कि ये भी देखा गया है कि पीसीओएस की पहचान और इलाज में जितना अधिक समय लगता है, उसके चलते महिलाओं में अवसाद और बैचेनी एवं चिंता संबंधित विकारों के बढऩे की भी उतनी अधिक संभावना रहती है।

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