चंडीगढ़  : हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस ने राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी का जन्म दिन बड़ी ही धूमधाम से मनाया। प्रदेश अध्यक्ष सुमित्रा चौहान के नेतृत्व में केक काटा गया। इसके बाद देश में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए एक ज्ञापन सीएम मनोहर लाल खट्टर के नाम सौंपा गया। इस दौरान प्रदेश प्रवक्ता रंजीता मेहता, बिमला , महिला नेत्री नंदिता हुड्डा, सुमन मेहरा, नीलम बाल्याण, डा. स्नेह अहलावत, ऊषा कुमारी, उषा कमल, वेणू अग्रवाल, भावना गुप्ता, लिली बावा, जलमेघा दहिया भी उपस्थित थीं। 
ज्ञापन देने के बाद पत्रकारों से बातचीत में सुमित्रा चौहान ने बताया कि महिलाएं भारत की आबादी का आधा हिस्सा हैं और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने भारी प्रगति की है, लेकिन अभी भी नीति बनाने और विधायी निकायों में इनका उचित प्रतिनिधित्व नहीं है। महिलाएं किसी भी तरह से कम सक्षम या योग्य नहीं हैं,लेकिन क्योंकि कई सामाजिक मानदंडों ने व्यवस्थित रूप से पुरुषों के साथ समान रूप से साझा करने से उन्हें दूर रखा है। यह जरूरी है कि हम एक नया लोकतांत्रिक पर्यावरनिय -व्यवस्था तैयार करें, जो कानून और नीति बनाने में सक्रिय रूप से उनके द्वारा उच्च भागीदारी सुनिश्चित करता है। रंजीता मेहता ने बताया कि इसकी शुरुआत तब हुई जब राजीव गांधी ने प्रतिनिधित्व के अंतर को समझते हुए स्थानीय स्वराज्य स्तर पर भी महिलाओं को भागिदार बनाने के लिए इसका बीड़ा उठाया। 73 वें और 74 वें संवैधानिक संशोधनों के मार्ग ने राजनीतिक रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने के मुद्दे को बल देकर उन्हें इन निकायों में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इसे आगे बढ़ाते हुए सोनिया गांधी और पूर्व प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कई राज्यों की मदद से स्थनीय निकाय में महिलाओं को 50त्न आरक्षण देने का निर्णय लिया।
रंजीता मेहता ने बताया कि पंचायत स्तर पर शासन के साथ हमारे अनुभव से पता चला है कि नेतृत्व की स्थिति में महिलाएं जो निर्णय लेती हैं, वो एक समावेशी समाज के निर्माण का कारण बनती हैं और जोकि हमें भारत के संवैधानिक विचार पर आगे बढऩे में मदद करती है! यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिलाएं अभी भी पिछले आम चुनाव के बाद संसद में 11त्न हिस्सेदारी के साथ अपना प्रतिनिधित्व कर रही हैं-जो शर्मनाक है। जाहिर है, विधायी निकायों में बड़े पैमाने पर महिलाओं की इतनी कम संख्या समाज के लिए गंभीर परिणाम के परिचायक होंगे। उन्होंने बताया कि 23 अक्टूबर को, हस्ताक्षर अभियान से भारत के माननीय राष्ट्रपति को बिल की शुरुआत में तेजी लाने के अनुरोध के साथ प्रस्तुत किया गया था। महिलाओं की समानता के प्रति हमारे राष्ट्र की प्रतिबद्धता का निर्णय इस महत्वपूर्ण विधेयक पर सरकार की कार्यवाही के आधार पर किया जाएगा। इस अवसर पर बिमला सांगवान, गीता दत्ता, इशरत जहां, हरभजन कौर, राज तनेजा, माया देवी, जिन्नत, जैयादा, भानमती तंवर, गीता काकरा सहित अन्य महिलाएं मौजूद थीं। 

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