चंडीगढ़। कर्ण शर्मा  द्वारा लिखे गए पहले उपन्यास  का विमोचन चंडीगढ़ में भारत के सुप्रसिध्द जूना अखाड़ा एवम काली मंदिर पटियाला के पीठाधीश जगत गुरु पंचानंद गिरी के कर कमलों से किया गया। 21 वर्षीय कर्ण शर्मा का कहना है कि वह अपनी पहली पुस्तक यानी उपन्यास का विमोचन अपने गुरु पंचानंद गिरी जी से ही करवाकर उनके आशिरिवाद से लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते है ।उन्होंने बताया कि उनके लिखे गए उपन्यास का नाम अंग्रेजी में "हैश" है यानि कि भाँग का पता, ,पुस्तक अंग्रेजी भाषा मे ही लिखी गई है।उपन्यास की कहानी युवा वर्ग पर है जोकि  घर से बाहर जब किसी कॉलेज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने जाते है और शिक्षा ग्रहण करने की जगह किसी नशे की गिरफ्त में पड़ जाते है और यही नशे की आदत उनकी जिंदगी में नया मोड़ लाती है।जोकि समाज मे असमाजिक कार्य माना जाता है।कर्ण का कहना है कि उनकी यह पहली पुस्तक है जोकि चरस के नशे पर आधारित है। उन्हें साहित्य एवम उपन्यास पढ़ने और लिखने का शौक दसवीं कक्षा से हो गया था जब वह बरमाणा सीनियर सेकंडरी डीएवी स्कूल में पढ़ते थे।उन्होंने अपनी लेखनी के पीछे अपने परिवार का सहयोग बताया जिन्होंने उसकी इस रुचि को लेकर आगे बढ़ने का बढ़ावा दिया।उनका कहना है कि वह अपनी स्नातकोत्तर शिक्षा के साथ पुस्तक भी लिखते रहे।उन्होंने बताया कि उनकी इस सफलता के पीछे उनकी माता  का विशेष सहयोग रहा है। जिन्होंने इस कार्य के लिए समय दिया औऱ उनकी माता भी साहित्य में विशेष रुचि रखती है जोकि स्वयम भी एक पत्रकार है।उन्होंने बताया कि उनके उपन्यास का विशेष मकसद है कि जिस तरह भाँग को अवैध माना जाता है यदि सरकार एवम प्रशासन इसे वैध कर दे तो युवा पीढ़ी भटकने से बच सकती है किउंकि यह दुनिया की प्रवृति है जब चीजे अवैध होती है तो उसके पीछे भागती है यदि वही चीज आसानी से उपलब्ध जो जाए तो एक दिन व्यक्ति की रूचि उस आसानी से मिलने वाली वस्तु में कम हो जाती है।उन्होंने बताया कि भांग यानी चरस की अपेक्षा दूसरे नशे घातक है जिनमे आज की युवा पीढ़ी फंसती जा रही है औऱ उनके उपन्यास में की कहानी भी इसी पर आधारित है।

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