चंडीगढ़ 11 अप्रैल: शिक्षा एवं स्वास्थ्य प्रत्येक सरकार का अपने नागरिकों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं देना पहला फ़र्ज़ बनता है |परन्तु बड़े दुःख कि बात है कि पंजाब में इन दोनों सेवाओं का बहुत बुरा हाल है पंजाब में सरकारी अस्पतालों व सरकारी स्कूलों कि स्थिति बड़ी ही दयनीय है इसी को ध्यान में रखते हुए सरदार हरविंदर सिंह फुल्का द्वारा निजी तौर पर अपने हलके में एक मुहीम शुरू की है  उन्होंने फैसला लिया कि वे अपने हलके में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति सजग रहेंगे 
आज चंडीगढ़ स्थित प्रेस क्लब में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए सरदार हरविंदर सिंह फुल्का ने बताया कि किसी भी क्षेत्र में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने में सरकारी स्कूलों का अहम रोल होता है इसलिए सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर ऊपर उठाया जाये  ताकि उस क्षेत्र के प्राइवेट स्कूल अपने शिक्षा का स्तर दोगुना ऊपर उठाएंगे और इसी तरीके से क्षेत्र में शिक्षा का स्तर उच्च हो सकेगा |सरदार हरविंदर सिंह फुल्का ने आज यह भी फैसला लिया कि सरकारी स्कूलों में अति आधुनिक तरिके से विद्यार्थियों को पढ़ाया जाये इसी संदर्भ में सरदार हरविंदर सिंह फुल्का ने अपने मित्र एवं केनेडा के उद्योगपति सुमित सिंह तुली के साथ मिलकर सलाह की थी कि 6 महीने एक प्रोजेक्ट पर काम किया कि बच्चों को आधुनिक शिक्षा वाज़िब खर्चे पर किस प्रकार पढ़ाया जाये और 6 महीने इस प्रोजेक्ट पर काम करने के बाद एक नया मॉड्यूल तैयार किया गया सुमित सिंह तुली ने सरदार फुल्का को विश्वास दिलाया कि उनके हलके में प्राइमरी स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम वे अपने निजी तौर पर तैयार करके देंगे इसी मुहीम के तहत गत दिसम्बर से स्मार्ट क्लास रूम बनाने भी शुरू कर दिए गए |
अब तक सरकार ने इस प्रकार के स्मार्ट क्लास रूम बनाने में लाखों रुपए खर्चा कर दिए परन्तु इस समय सरकार के पास भी इतना पैसा नहीं है इस लिए स्मार्ट क्लास रूम बहुत ही थोड़े स्कूलों में बनाये गए पंजाब में सरकारी प्राइमरी स्कूल करीबन 12000 हैं परन्तु सरकार ने स्मार्ट क्लास रूम केवल हाई एवं सीनियर सेकंडरी स्कूलों में ही बनाये और प्राइमरी स्कूलों तक शुरुआत ही नहीं कि गयी जबकि प्राइमरी स्कूल के बच्चों को ऑडियो विसुअल तरीके से पढ़ाई ज्यादा आकर्षित करता है इसलिए प्राइमरी स्कूलों के विद्यार्थिओं हेतु स्मार्ट क्लास रूम बना के पढ़ना ज्यादा जरूरी था |जो कि बहुत कम समय में स्मार्ट क्लास रूम बनाये जा सकें |
इसी तरीके को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट क्लास रूम दिसम्बर और जनवरी में 8  स्कूलों में अच्छे तरीके से चला के देखे गए अध्यापकों व बच्चो से पूर्ण जानकारी हासिल कर उनकी गुणवत्ता जांची गयी एवं बहुत ही हैरानी हुई कि अध्यापकों व बच्चो में शिक्षा के प्रति रुझान काफी बढ़ा है इसी के मद्देनज़र हलके में अन्य स्कूलों में भी स्मार्ट क्लास रूम बनाने कि निति बना ली गयी है आगामी दो हफ्ते में 70 स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम बना दिए जायेंगे और बाकि स्कूलों में भी अगले महीने में स्मार्ट क्लास रूम बना दिए जायेंगे |
इस किफायती मॉडल को अगर सरकार भी अपना ले तो कम समय और बजट में हलके में सभी सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम बनाये जा सकते हैं यह मॉडल चाहे अन्य प्राइवेट स्कूलों के स्मार्ट क्लास रूम जितने हाई फाई नहीं है परन्तु प्राइमरी स्कूल के बच्चों को शिक्षा के प्रति आकर्षित करने के लिए प्रयाप्त है जिसकी कीमत 18000 रूपए प्रति स्मार्ट क्लास रूम है |

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