चण्डीगढ़। सर्दी-जुकाम, स्लिप डिस्क से लेकर सर्वाइकल, डायबिटीज एवं बीपी तक का पक्का इलाज हो सकता है एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति से। ये बात सेक्टर 35 स्थित किसान भवन के सरदार प्रताप सिंह कैरों हाल में एक्यूप्रेशर शोध प्रशिक्षण एवं उपचार संस्थान  द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ प्रोफेसर अर्चना दुबे ने पंजाब एवं चंडीगढ़ से आए हुए एक्यूप्रेशर चिकित्सकों को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने सेमीनार के पहले दिन आज इस चिकित्सा पद्धति के बारे में उपयोगी एवं नवीनतम जानकारियां प्रदान की।  संस्थान के प्रवक्ता डॉ. पी एन गुप्ता, जो संस्थान के सेक्टर २० स्थित चंडीगढ़ सेण्टर के संचालक व एक्यूप्रेशर प्रशिक्षक भी हैं, ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए चंडीगढ़ से किसान भवन में हर दूसरे महीने सेमिनार करवाया जाता है। इसी श्रंखला में 14 से 16 अप्रैल 2018 तक जीभ देखकर एक्यूप्रेशर द्वारा इलाज विषय पर ये सेमीनार कराया जा रहा है। इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाईजेशन,चंडीगढ़ की अध्यक्ष मीना शाह ने बताया की यह एक सम्पूर्ण वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है। उन्होंने बताया कि यह क़ुदरती थेरेपी है जिसका जन्मदाता  भारत है। विदेशों में एक्यूप्रेशर और नेचुरोपैथी पद्धति का बहुत ज्यादा चलन है परन्तु  भारत इससे पिछड़ता जा रहा है।
इसीलिए भारत के जन-जन तक इस पद्धति को पहुंचाने के उद्देश्य से एक्यूप्रेशर सेमिनार और नेचुरोपैथी सेमिनार के आयोजन करवाए जाते हैं ।
डॉ. गुप्ता के मुताबिक उनके संस्थान के भारत में 500 से अधिक सेंटर हैं जहां इस पद्धति के तहत उपचार किया जाता है एवं प्रशिक्षण भी दिया जाता है। उन्होंने बताया कि उनके संस्थान के सेंटर्स से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थी भी सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं जो 6 महीने का होता है। बाद में 1 साल का डिप्लोमा व बारहवीं कक्षा के बाद 2 साल का एडवांस डिप्लोमा भी कराया जाता है इस चिकित्सा पद्धति का प्रशिक्षण लेकर न केवल स्वयं का एवं अपने परिवारजनों का घर पर ही इलाज किया जा सकता है बल्कि आम जनता का भी इलाज किया जा सकता है जिससे रोजगार भी हासिल होता है। इस चिकित्सा पद्धति की सबसे बड़ी बात यह है कि इससे बिना सर्जरी के भी कई बीमारियों का इलाज संभव है। 

Post a Comment

أحدث أقدم