आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की मंजूरी देने ख़िलाफ़त करने पर नीमा ने आईएमए की आलोचना की
डॉ. मीनू गांधी व डॉ. राजीव कपिला ने केंद्र के फैसले की सराहना की
चंडीगढ़ (प्रवेश फरण्ड)
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए के आह्वान पर आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की मंजूरी देने के खिलाफ एलोपैथिक डॉक्टर आज हड़ताल पर रहे। नीमा ( नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन ) ने इसके लिए आईएमए की कड़ी आलोचना की है। आज की हड़ताल को फ्लॉप करार देते हुए नीमा के चण्डीगढ़ चैप्टर की महासचिव डॉ. मीनू गांधी ने यहां जारी एक ब्यान में कहा है कि एलोपैथी से जुड़े अधिकतर चिकित्सक इस पेशे को व्यवसाय की तरह लेते हैं और शहरी क्षेत्रों में ही कार्यरत रहना पसंद करते हैं। उनकी ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ कोई रूचि नहीं होती। इसके विपरीत आयुर्वेदिक चिकित्सक गाँवों व दूरदराज के क्षेत्रों में भी काम करने से पीछे नहीं हटते।
उन्होंने कहा कि बीएएमएस करने के बाद आयुर्वेदिक चिकित्सकों को भी बाकायदा एमएस करने का अवसर मिलता है जिससे वे भी शल्य चिकित्सा में पारंगत हो जाते हैं। डॉ. मीनू गांधी ने कहा कि एलोपैथी महज दो हज़ार वर्ष पुरानी चिकित्सा प्रणाली है जबकि आयर्वेद पिछले पांच हज़ार वर्षों से कायम है। उन्होंने कहा कि सुश्रुत संहिता में ना केवल बाकायदा विभिन्न जटिल सर्जरियों का वर्णन है बल्कि इसमें बताये गए तमाम उपकरण ही आज एलोपैथी चिकित्सा में सर्जन इस्तेमाल करतें हैं।
उधर नेशनल आयुष मिशन, चण्डीगढ़ के नोडल इंचार्ज व से. 28 स्थित आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी के प्रभारी आयुर्वेदाचार्य गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. राजीव कपिला ने भी आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी करने की मंजूरी देने के केंद्र सरकार के फैसले की सराहना की है व कहा कि इससे देश के चिकित्सा ढांचे को और भी मजबूती मिलेगी व आम जन को इलाज कराने में काफी सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने एलोपेथिक चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिला कर महामारी से निपटने में जुटें हुए हैं जिससे कि आयुर्वेदिक चिकित्सकों की अपने पेशे के प्रति प्रतिबद्धता का पता चलता है।
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