चंडीगढ़
आज गुरु नानक सिख स्टडीज पीयू चंडीगढ़ विभाग में एक वेब आधारित एनुअल ग्लोबल एलुमनी मीट का आयोजन पंजाब यूनिवर्सिटी एलुमनी एसोसिएशन के साथ मिलकर विभाग के 50 वें स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गुरमत कॉलेज पटियाला के छात्रों द्वारा शबद गायन “देह शिवा बर मोहे इहै शुभ कर्म ते कबहुं ना टरौं” के पाठ के साथ किया गया।
विभाग के अकादमिक प्रभारी प्रो. जसपाल कौर कंग ने अपने स्वागत-सह-परिचयात्मक संबोधन में, विभाग के 50 वर्षों की उपलब्धियों का विवरण दिया और साथ ही साथ पूर्व छात्रों की उपलब्धियों की जानकारी दी। विभाग की स्थापना भारत सरकार के द्वारा गुरु नानक देव जी ५००वें जन्मदिवस के अवसर पर सन १९७० में किया गया था तब से लेकर आज तक विभाग का एक स्वर्णमयी इतिहास रहा है। इस अवसर पर दो डिजिटल परियोजनाएं, १. पिछले 50 वर्षों में विभाग का इतिहास और उपलब्धियों का लेखन और २. गुरु तेग बहादुर के विचार प्रबंध लॉन्च किये गये।
अपने उद्घाटन भाषण में, डीन रिसर्च डॉ. वी आर सिन्हा ने कहा कि पूर्व-छात्र किसी भी संस्था के असली ब्रांड एंबेसडर हैं। पूर्व-छात्र हमेशा अपनी संस्था की एक अच्छा परिचय और झलक देते हैं। किसी संस्थान की पहचान उसके छात्रों के द्वारा दिए गए योगदान और उसकी प्रस्थिति से होती है।
मुख्य वक्ता, ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ सिख स्टडीज कैलिफोर्निया (यूएसए) के निदेशक डॉ. गुरिंदर सिंह मान थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि गुरु नानक जी ने आध्यात्मिक और व्यावहारिक ज्ञान से परिपूर्ण मार्ग की स्थापना की। उन्होंने कहा कि हमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब में निहित मूल्यवान ज्ञान के आधार पर अपने विश्वास, कार्यों और भावना में भविष्यवादी होना चाहिए।
डॉ. जसपाल सिंह, पूर्व वीसी पीयू पटियाला और अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, भारत सरकार और डॉ. जसबीर कौर, पूर्व डीन, पीयू पटियाला और प्रिंसिपल, गुरमत कॉलेज, पटियाला को उनके संबंधित क्षेत्रों में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि पीयू चंडीगढ़ के डीयूआई डॉ. आर के सिंगला थे। अपने सभा-अध्यक्षीय भाषण में डॉ. जसपाल सिंह, पूर्व वीसी पीयू पटियाला और अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, भारत सरकार ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब केवल एक आध्यात्मिक पुस्तक नहीं है, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक विचारों का भंडार भी है। उन्होंने यह भी कहा कि गुरु नानक एक वैश्विक शिक्षक, मार्ग-दर्शक और उपदेष्टा थे और सिख अध्ययन एक व्यापक दृष्टिकोण है जो पूरे समाज के सर्वांगीण संवृद्धि और विकास के लिए काम करता है।
विशिष्ट अतिथियों में डॉ. सतीश कुमार वर्मा, प्रोफेसर एमेरिटस, देश भगत विश्वविद्यालय, मंडी गोबिंदगढ़; डॉ. एस.एस. भट्टी, पूर्व डीन, डिज़ाइन एंड फाइन आर्ट्स फैकल्टी, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़; डॉ. रौनकी राम, शहीद भगत सिंह प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय; डॉ. जसबीर कौर, पूर्व डीन, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला और प्रिंसिपल, गुरमत कॉलेज, पटियाला; डॉ. ओपिंदरजीत कौर, सेंटर फ़ॉर सिख एंड पंजाब स्टडीज़, यूनिवर्सिटी ऑफ़ वोल्व्स, हैम्पटन, यूके; डॉ. अस्मा कादरी, एसोसिएट प्रोफेसर, पंजाबी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर और चरणजीत सिंह, शैक्षिक शोधकर्ता, सेंटेनियल कॉलेज, टोरंटो, कनाडा आदि से थे।
वेबिनार में पीयू चंडीगढ़, पीयू पटियाला, पीयू लाहौर, यूके, ऑस्ट्रेलिया, यूएस, इंग्लैंड आदि सहित दुनिया भर से लोगों ने भाग लिया और कार्यक्रम को सफल
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