कई महीनों बाद भी नहीं हुआ गन्ना उत्पादक किसानों को फसल का भुगतान- सैलजा

 


चंडीगढ़ 


हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार प्रदेश के मेहनतकश किसानों को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुली हुई है। यह बेहद ही चिंताजनक है कि सरकार की किसान विरोधी नीतियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। हरियाणा प्रदेश में गन्ना उत्पादक किसानों को कई माह बीतने के बाद भी उनकी फसल का भुगतान नहीं किया गया है। जिस कारण गन्ना किसान दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। उन्होंने सरकार से तुरंत प्रभाव से किसानों का बकाया भुगतान ब्याज सहित जारी करने की मांग की है।


यहां जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि इस सीजन में नारायणगढ़ में नवंबर से अब तक चीनी मिल द्वारा 105 करोड़ रुपये के गन्ने की पेराई करने के बावजूद भुगतान सिर्फ 9.45 करोड़ रुपये का ही किया है। इसी तरह से जींद की शुगर मिल में किसानों का 49 करोड़ 35 लाख 74 हजार रुपये का भुगतान बनता है। जिसमें से शुगर मिल ने अभी तक मात्र 16 करोड़ 50 लाख चार हजार रुपये का ही भुगतान किया है। हरियाणा प्रदेश की अन्य मिलों में भी यही हालात हैं और किसानों के करोड़ों रुपयों के बकाया का भुगतान नहीं हुआ है। नियमों के अनुसार किसानों को उनकी गन्ने की फसल का भुगतान 14 दिनों के अंदर करना होता है, परंतु किसानों को पिछले कई महीनों से उनकी फसल का भुगतान नहीं किया गया है।


कुमारी सैलजा ने कहा कि न तो किसानों को उनकी फसल का समय पर भुगतान हो रहा है और न ही उन्हें फसल के उचित दाम मिल रहे हैं। भाजपा सरकार द्वारा पिछले 6 वर्षों में गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सिर्फ 40 रूपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। जबकि किसानों की लागत इन वर्षों में कई गुना बढ़ गई है। इस सरकार में खाद,  बीज,  कीटनाशक इत्यादि के दामों में बढ़ोतरी हुई। पेट्रोल-डीजल के दाम असमान छू रहे हैं। लेकिन सरकार द्वारा गन्ने की कीमतों में नाम मात्र की बढ़ोतरी की गई। सरकार गन्ने की फसल के मूल्य को मंहगाई दर के हिसाब से देती है तो कम से कम रेट 400 रुपये क्विटंल होना चाहिए था। वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2014 तक कांग्रेस सरकार में गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि हुई थी और यह 117 रूपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 310 रूपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया था। कांग्रेस सरकार में न्यूनतम समर्थन मूल्य में 193 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई थी।


कुमारी सैलजा ने कहा कि आज इस किसान विरोधी सरकार में हमारे अन्नदाता बेहद ही तंगहाल स्थित में हैं। इस सरकार की नीतियों से किसान हताश और निराश हो चुके हैं। इस सरकार में किसानों को उनकी फसल के भुगतान के लिए दो से तीन माह तक इंतजार करना पड़ता है। किसान को मजदूरों को भी पैसे देने होते हैं। किसानों ने फसल बुवाई के लिए जो पैसा ब्याज पर लिया होता है,  उसका भी जल्द से जल्द भुगतान करना होता है। अगली फसल के लिए भी खर्च होता है। इसलिए अधिकतम 14 दिन में किसान को पेमेंट मिल जानी चाहिए। किसानों को समय पर भुगतान न मिलने से काफी नुकसान हो रहा है। इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार किसानों को तुरंत बकाया भुगतान ब्याज समेत जारी करे।

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