चंडीगढ़
कभी भी व्यक्ति को अपने ज्ञान पर घमंड नहीं करना चाहिए। न जाने किस दिन कोई ऐसी घटना हो जाए कि आप अपनी सुध बुध खो बैठे और आपका ज्ञान धरा का धरा रह जाए। ज्ञान दीपक की तरह होता है जिसे जितना फैलाओ उतनी रोशनी देगा। अगर आप ज्ञानवान है तो इसे संपूर्ण मानव जाति का दें, उसे अपने पास बांधकर रखने का कोई फायदा नहीं है। यह शब्द मुनि विनय कुमार आलोक ने अणुव्रत भवन सेक्टर-24 के सभागार में कहे।
उन्होंने कहा कि मान प्रतिष्ठा का कभी कोई घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह मान प्रतिष्ठा हमेशा पिछले जन्म के कर्म और वर्तमान की पद की प्रतिष्ठा के अनुरूप मिलती है। यह कब चली जाए कहा नहीं जा सकता। आप जब तक बड़े पद पर हैं तब तक लोग आप को नमस्कार करते हैं, लेकिन जिस दिन यह पद आपके पास नहीं रहता आपकी प्रतिष्ठा में भी कमी आती जाती है।
मुनि आलोक ने कहा कि आज के युवाओं को भगवान महावीर से सीख लेनी चाहिए। उनकी कही गई बातें युवाओं के लिए इस युग में भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी अर्जुन के लिए रहीं। कृष्ण हर मोर्चे पर क्रांतिकारी विचारों के धनी थे। उनका सबसे बड़ा आकर्षण यह था कि वह कभी किसी बंधी-बंधाई लीक पर नहीं चलते थे। मौके की जरूरत के उन्होंने अपनी भूमिका बदली और अर्जुन के सारथी बने।
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