• एब्डोमिनल एयोरेटिक एनियुरिज्म को नहीं करना चाहिए इग्नोर,
  • ओल्ड एज और स्मोकर्स के ग्रस्त होने के अधिक चांस




प्रवेश फरंड चंडीगढ़ 


एब्डोमिनल एयोरेटिक एनियुरिज्म बीमारी को लेकर जागरुक्ता का अभाव है। ओल्ड एज व स्मोकर्स में खासतौर से यह बीमारी जानलेवा तक साबित होती है।ये हरियाणा व हिमाचल में पंजाब की अपेक्षा अधिक देखने को मिलती है। महिलाओं की अपेक्षा यह पुरुषों में चार से पांच गुणा अधिक होती है। 5.5 सेंटीमीटर एनियुरिज्म से ग्रस्त जिन 50 प्रतिशत मरीजों का उपचार नहीं होता, रप्चर होने के पांच साल भीतर उनकी मौत होने के चांस ज्यादा रहते हैं।


यह कहते हैं कंसल्टेंट वैसकुलर एंड वैसकुलर सर्जन इंडस अस्पताल  डॉ. विशाल अत्री। एक बातचीत में उन्होंने बताया कि जिन लोगों को इस बात का एहसास नहीं कि वह एब्डोमिनल एयोरेटिक एनियुरिज्म के साथ रह रहे हैं, उन्हें अचानक से एयोरेटिक रप्चर और कैटेस्ट्रॉफिक ब्लीडिंग हो सकती है। हालांकि जिन्हें समय रहते इसका आभास हो जाता है, उनके पास ट्रीटमेंट की चॉइस के लिए काफी वक्त मिल जाता है।


इस बीमारी पर बात करते हुए डॉ. अत्री ने कहा कि एब्डोमिनल एयोरेटिक एनियुरिज्म एब्डोमिनल एयोर्टा की दीवार पर बनने वाला एक बैलून है। समय केस साथ एयोर्टा पर बना यह बैलून कमजोर हो सकता है और सामान्य ब्लड प्रेशर से उसमें रप्चर हो सकता है। इससे बहुत अधिक दर्द,इंटर्नल ब्लीडिंग और हैमोरेज हो सकती है जिससे जीवन को भी खतरा हो सकता है। डॉ. विक्रम  सिंह राणा के मुताबिक समय रहते इस पर गौर कर लेना चाहिए।


68 वर्षीय व्यक्ति को मिला जीवनदान


उन्होंने बताया कि एब्डोमिनल एयोरेटिक एनियुरिज्म का डायमीटर एयोर्टा के दायरे से डेढ़ गुणा अधिक होता है। डॉ अत्रि व् डॉ एस एस बेदी  ने बताया कि 68 वर्षीय ओमप्रकाश को तीव्र पेट दर्द हुआ जिसके बाद उनका अल्ट्रासाउंड करवाया गया। जांच में एब्डॉमिनल एयोरेटिक एन्युरिज्म की पुष्टि हुई। फिर एक छोटे से कट द्वारा एंडोवैस्कुलर एयोरेटिक एन्युरिज्म रिपेयर से एक ही दिन में सामान्य से तीन गुने बड़े एब्डॉमिनल एयोरेटिक एन्युरिज्म को निकाल नया जीवन दिया।


Post a Comment

Previous Post Next Post