• ...चीमा भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार को ऐसे काले कानूनों को देश पर थोपने की ज़िद्द नहीं करनी चाहिए 
  • ...आम आदमी पार्टी के नेता, वर्कर और विधायक 26 मई वाले दिन काले झंडे का प्रयोग कर किसानों के संघर्ष में हों शामिल 




चंडीगढ़, 25 मई

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर नेता और पंजाब विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कि कहा कि देश के किसानों की ओर से 26 मई को काले दिवस के तौर पर मनाने के फैसले का आम आदमी पार्टी पूर्ण रूप से समर्थन करती है और केंद्र सरकार से अपील करती है कि बिना देरी कृषि से सम्बन्धित तीनों ही काले कानून वापस ले। 

मंगलवार को पार्टी के मुख्य दफ्तर से जारी एक बयान में हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से ज़बरदस्ती कृषि से सम्बन्धित तीन काले कानून लागू किए जा रहे हैं। जब कि कृषि से सम्बन्धित किसानों और मज़दूरों समेत कृषि विज्ञानी भी काले कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो कानूनों का देश के किसान, मजदूर और कृषि विज्ञानी विरोध कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार को ऐसे काले कानूनों को देश में थोपने की ज़िद्द नहीं करनी चाहिए। 

हरपाल सिंह चीमा ने दोष लगाया कि केंद्र सरकार ने कृषि के नये कानून बनाने और लागू करने के लिए न तो किसान जत्थेबंदियों के साथ कोई विचार विमर्श किया और न ही देश की अन्य राजनैतिक पार्टियों के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने तानाशाही रवैया अपना कर यह किसान और मज़दूर विरोधी कानून लागू करने का तानाशाह फ़रमान जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश में भाजपा की ओर से चलाई जाती तानाशाही सरकार के खिलाफ देश के किसानों और मज़दूरों ने संघर्ष का झंडा बुलंद किया है और आम आदमी पार्टी और दिल्ली की केजरीवाल सरकार किसानों के संघर्ष के साथ कंधे से कंधा जोड़ कर खड़ी है। 

चीमा ने कहा कि देश का किसान काले कानूनों को रद्द करवाने के लिए 6 महीने से देश की राजधानी दिल्ली की सरहदों पर शांतमई और सेवा भाव से मोर्चा लगाए बैठे हैं और सैंकड़े किसान शहीद भी हो गए। जिससे देश की सरकार उनकी बात मान कर काले कानून वापस ले ले। उन्होंने दोष लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार अंधी और गूंगी बन कर चुप्प बैठी है। 

हरपाल सिंह चीमा ने आम आदमी पार्टी के नेताओं, वर्करों और विधायकों से अपील की है कि वह 26 मई वाले दिन काले झंडों का प्रयोग करके किसानों के संघर्ष में शामिल हों, जिससे अम्बानी और अडानी की गोद में सो रही भाजपा सरकार को नींद से जगाया जा सके। 

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