• कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेताओं के साथ खुद बात करें प्रधान मंत्री मोदी- भगवंत मान /राघव चड्ढा
  • किसान देश की रीढ़ की हड्डी, उनको अनदेखा करना देश हित में नहीं -भगवंत मान
  • अपने 470 साथियों को खो चुके किसानों की ओर परीक्षा न ले मोदी सरकार -राघव चड्ढा


चंडीगढ़,
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के प्रधान और संसद मैंबर भगवंत मान और दिल्ली से विधायक और पंजाब मामलों के सह प्रभारी राघव चड्ढा ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेज कर खेती कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेताओं के साथ फिर से बातचीत शुरू करने का आग्रह किया है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में लोक सभा मैंबर भगवंत मान और विधायक राघव चड्ढा ने कहा कि पिछले करीब 6 महीनों से पंजाब समेत अलग अलग प्रदेशों के किसान दिल्ली की सरहदों पर केंद्र सरकार की तरफ से खेती क्षेत्र सम्बन्धित बनाए तीन कानून वापस लेने के लिए रोष प्रदर्शन कर रहे हैं। इस संघर्ष के दौरान किसान अब तक अपने 470 साथियों को खो चुके हैं जो कि अति दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक है।
‘आप’ नेताओं ने कहा कि भले ही इस समस्या का हल निकालने और काले कानूनों को वापिस लेने सम्बन्धित किसानों के नुमाइंदों और सरकार के मंत्रियों के बीच 11 बार की कहानी हो चुकी है, परंतु अभी तक इस सम्बन्धित कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला है। सरकार ने 22 जनवरी 2021 के बाद किसानों के साथ बातचीत की कोई भी कोशिश नहीं की, जो किसानों समेत पूरे राष्ट्र हित में ठीक नहीं है। 
उन्होंने कहा कि किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं और कृषि के बिना इस देश की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मौजूदा कोरोना काल के दौरान भी कृषि क्षेत्र को छोड़ कर बाकी सभी क्षेत्रों में जबरदस्त मंदी दर्ज की गई है। कृषि क्षेत्र के मज़बूत होने से ही पंजाब समेत बाकी सभी देश का ग्रामीण ढांचा बचा रह सका है। उन्होंने कहा कि देश का अनाज भंडार भरने समेत हर क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने वाले देश के किसानों को कोरोना काल में अपनी जान पर खेल अपनी मांगों के लिए रोष प्रदर्शन करना पड़ रहा है। अपने भविष्य को लेकर चिंतित देश का किसान बुजुर्गों, बच्चों और अन्यों समेत अपना घर बार छोड़ कर दिल्ली की सरहदों पर बैठे हैं, जो मानवीय हकों के भी विरुद्ध है।
अपने पत्र में ‘आप’ नेताओं ने प्रधानमंत्री को लिखा कि अब जब किसान नेताओं की ओर से एक बार फिर बातचीत का न्योता दिया गया है तो प्रधानमंत्री को भी विनम्रता और खुले दिल के साथ इस बुलावे को क़बूल करते हुए फिर से बातचीत शुरू करनी चाहिए और इस मसले का स्थाई हल करना चाहिए। उन्होंने अपील करते कहा कि समूचे देश और हर वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को कृषि क्षेत्र से सम्बन्धित तीनों कानून जरुर वापस लेने चाहिएं। मान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि किसानों और प्रधानमंत्री के बीच केवल एक काल की दूरी है और वह प्रधानमंत्री होने के नाते किसानों की सब मुश्किलों का हल निकालेंगे। उन्होंने कहा कि अब जब किसान बातचीत करने का न्योता दे रहे हैं तो प्रधानमंत्री को खुद इस बुलावे को गंभीरता के साथ लेकर किसानों के साथ बातचीत करके कृषि बिलों का हल करना चाहिए।

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