भारत में भी दुनिया के अन्य विकासशील देशों की तरह ही स्टार्टअप बूम छाया हुआ है। एक उद्यमी होना कठिन है, लेकिन एक महिला उद्यमी होना भारतीय परिवेश में और भी कठिन है। मैकिन्ज़ी ग्लोबल इंस्टीट्यूट (McKinsey Global Institute) के एक अध्ययनके अनुसार देश के कार्यबल में  यदि महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो और आर्थिक वृद्धि में उनका योगदान बढ़े, तो भारत का जीडीपी (GDP) 2025 तक 16 से 60 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। यह कहना आसान है, पर करना काफी मुश्किल।


इसलिए  2019 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा  रेणु  शाह  ने एक इन्क्यूबेशन कार्यक्रम, शक्ति - द इम्पैथी प्रोजेक्ट (STEP) की स्थापना की। यह प्रोग्राम महिला उद्द्यमियों  की यथास्थिति में अंतर लाने का प्रयास कर रहा है। STEP प्रोग्राम पांच स्तम्भों पर केंद्रित है- समानतावादी समुदाय, क्षमता-निर्माण, मेंटरशिप, रोल मॉडलिंग, फंडिंग एवं नेटवर्किंग के अवसर।


स्वयं की एक सामाजिक उद्यमी होने की यात्रा से रेणु को अहसास हुआ कि महिला उद्यमियों के सामने वही समस्यायें आ रही हैं, जिनका सामना उन्होंने किया था। महिला उद्यमियों को अपनी चुनौतियों एवं विचारों को साझा करने के लिए समुदाय की कमी है। इसलिए सामाजिक क्षेत्र में महिला उद्यमियों के लिए एक सपोर्ट सिस्टम का होना अत्याधिक आवश्यक है और इसीलिए रेणु ने शक्ति- द इम्पैथी प्रोजेक्ट (STEP) की स्थापना की।


इन्क्यूबेशन प्रोग्राम के बारे में रेणु ने कहा, ‘‘STEP  में ताकत और महिलाओं  के मूल्यों का समन्वय है। हम केवल  कौशल विकसित करने की बात नहीं करते, बल्कि एक समुदाय का निर्माण करने में  काफी समय व्यतीत करते हैं। महिला उद्यमियों की समस्याएँ सुनना और समानुभूति प्रकट करना हमारे काम का एक महत्वपूर्ण अंग है।’’


महिला उद्यमियों की समस्याओं पर रोशनी डालते हुए, रेणु ने बताया कि पुरुषों का इस क्षेत्र में वर्चस्व है। महिला उद्यमियों को तकनीकी कौशल, प्रौद्योगिकी, पूँजी की कमी जैसी मुश्किलों के कारण अपना व्यवसाय शुरू करना व चलाना काफी मुश्किल हो जाता है। दुनिया में 2017 में ईक्विटी फंडिंग (equity funding) का मात्र 2 प्रतिशत हिस्सा महिला नेतृत्व वाले व्यवसायों को गया। अधिकांश महिला उद्यमी टेक-इनेबल्ड नहीं हैं और इसलिए उन्हें VC एवं PE निवेशक, जो स्केल को प्रौद्योगिकी से जोड़कर देखते हैं उनका सहयोग मिलना मुश्किल हो जाता है, । महिला उद्यमियों के लिए सेक्टर-विशिष्ट रोल मॉडल्स की कमी है, जो उन्हें स्पॉन्सर करके विकसित कर सकें। इसलिए महिलाओं को ऐसे अवसर नहीं मिल पाते, जो उनके बिज़नेस को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।


शक्ति की सबसे बड़ी शक्ति महिला सामाजिक उद्यमियों का सशक्त, प्रतिबद्ध एवं गतिशील समुदाय ही है, पिछले बैच में उनके पास विभिन्न क्षेत्रों, जैसे शिक्षा, हैल्थकेयर, कृषि, पर्यावरण, शहरी समस्याओं आदि के प्रोजेक्ट थे। शक्ति ने अभी तक 32 स्टार्टअप्स को इन्क्यूबेट कर लगभग 70,000 लोगों को लाभान्वित किया है। और इन उद्यमियों ने अभी तक 4 करोड़ रु. से ज्यादा का फंड एकत्रित किया है। 


प्रिसोल्व (PRESOLV 360) की संस्थापक, शक्ति से जुड़कर लाभान्वित हुई एक महिला उद्यमी, नमिता शाह ने कहा, ‘‘शक्ति की वर्कशॉप, मेंटरशिप और टीम की उदारता ने मेरी उद्यमशीलता के कौशल को सँवारा तथा मेरे व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक सफर को समृद्ध किया है।’’ 


केयरगिवर (Caregiver) साथी की संस्थापक, भावना इस्सर ने कहा, ‘‘स्टेप का चयन एक गंभीर व कठोर प्रक्रिया थी  जिसने लर्निंग एवं चुनौती के आधार की स्थापना की, जिसका अनुभव मुझे पूरे कार्यक्रम में हुआ। ये इनपुट अभिप्रेरित एवं उत्तम डिज़ाईन के थे। तकनीकी इनपुट से बढ़कर, मैं अपनी अंदर की चुनौतियों के साथ काम कर पाई, जिससे मुझे एक संगठन का निर्माण करने के तकनीकी पक्ष को


 

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