•  एलोपैथी बनाम आयुर्वेद विवाद में नया मोड़: 

  • प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ गुरु मनीष जी हुए बाबा रामदेव के कोरस में शामिल, आयुर्वेद को कोविड और ब्लैक फंगस के उपचार में सक्रिय भूमिका देने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र 


प्रवेश फरंड चंडीगढ़ 



एलोपैथी को लेकर बाबा रामदेव की विवादित टिप्पणी से शुरू हुई एलोपैथी और आयुर्वेद के बीच जंग को अब एक नया मोड़ मिल गया है। बाबा रामदेव के बाद अब एक प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ गुरु मनीष जी आयुर्वेद के समर्थन में उतरे हैं । गुरु मनीष जी शुद्धि आयुर्वेद के संस्थापक हैं, जिनका मुख्यालय चंडीगढ़ के पास है और इसके बैनर तले 160 से अधिक आयुर्वेद क्लीनिक चलते है।  गुरु मनीष जी ने पीएम मोदी को बैठक के लिए एक पत्र लिखा है जिसमे आयुर्वेद चिकित्सकों को कोविड 19 और ब्लैक फंगस के प्रभावी आयुर्वेदिक इलाज से संबंधित उपचार का विवरण पीएमओ को देने का मौका मिल सके।


गुरु मनीष जी ने विवाद को एक नया मोड़ देते हुए कहा, "मैंने पीएम मोदी से अनुरोध किया है जो कि आयुर्वेद की समृद्ध विरासत के प्रचार के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं और साथ ही उनसे आयुर्वेद और एलोपैथी डॉक्टरों के बीच बहस करने का भी अनुरोध किया है, ताकि जनता को पता चल सके कि आयुर्वेद विशेषज्ञ किसी बीमारी का इलाज कैसे करते हैं और एलोपैथ की उपचार प्रक्रिया क्या है।"


एलोपैथी पर बाबा रामदेव की टिप्पणी के खिलाफ एलोपैथिक डॉक्टरों द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी विरोध पर टिप्पणी करते हुए, गुरु मनीष जी ने कहा, “कोविड -19 महामारी के बीच विरोध प्रदर्शन करना एक अ- संवेदनशील और गैर जिम्मेदाराना रवैया है। स्वास्थ्य पेशेवर होने के नाते, एलोपैथिक चिकित्सकों को इन सभी मुद्दों में शामिल करते हुए एक परिष्कृत तरीके से बहस करनी चाहिए।”


पत्र में बताया गया है कि रेमडिसीवर जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया गया और फिर उसे वापस ले लिया गया, यहां तक कि प्लाज्मा थेरेपी भी पहले इस्तेमाल की गयी और फिर उसे भी खत्म कर दिया गया, इसने एलोपैथी को एक शर्मनाक स्थिति में लाकर छोड़ दिया है क्योंकि इसे एक वैज्ञानिक औषधीय प्रणाली माना जाता है। पत्र में एक मेडिकल जर्नल "द लैंसेट" का भी हवाला दिया गया है, जिसके मई 2020 संस्करण में कई दवाएं कोविड के उपचार में खतरनाक पाई गईं, लेकिन उनका उपयोग भारत में स्टेरॉयड उपचार के साथ कॉम्बिनेशन के रूप में किया गया था। इसके अलावा गुरु मनीष जी ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी के साथ कई दस्तावेज सबूत के तौर पर भी अटैच किए हैं।


गुरु मनीष जी ने आगे कहा, कि "एलोपैथी द्वारा कोविड के लिए कई उपचार लागू किए गए जिससे कि इन दवाओं पर भारतीयों द्वारा भारी मात्रा में खर्च किया गया, जिसकी प्रभावशीलता संदेहास्पद है, फायदा केवल बड़ी बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों को हुआ है और भारत का बहुत सारा पैसा विदेश चला गया है और आगे भी जाता रहेगा। क्यों आयुर्वेद को कभी भी कोविड के सक्रिय उपचार का हिस्सा बनने का मौका नहीं दिया गया जबकि एक पश्चिमी प्रोटोकॉल को यह मुख्य भूमिका दे दी गई ? आयुर्वेद चिकित्सकों को भी अब कोविड उपचार और ब्लैक फंगस जैसी नई समस्या में शामिल करना चाहिए।"


गुरु मनीष जी ने दावा किया है कि उनकी संस्था शुद्धि आयुर्वेद ने 5000 से अधिक कोविड 19 रोगियों का इलाज आयुर्वेद में उपलब्ध प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली दवाओं से तथा 50,000 से अधिक कोविड 19 रोगियों का बिना दवा पर एक रुपया खर्च किए, इलाज़ को प्राकृतिक आहार प्रोटोकॉल द्वारा किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह कोविड उपचार में आयुर्वेद की प्रभावकारिता को रेखांकित करने के लिए इन रोगियों को पीएम, राष्ट्रपति या राज्यपालों के सामने परेड कराने के लिए भी तैयार हैं।


इसी बीच, 200 से अधिक आयुर्वेद डॉक्टरों के एक समूह ने पीएम मोदी को एक खुला पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने आयुर्वेद में ब्लैक फंगस का इलाज करने का दावा किया है। वास्तव में डॉक्टरों ने इस खुले पत्र में कहा है कि सभी ब्लैक फंगस रोगियों को आयुर्वेद चिकित्सकों के पास भेजा जाना चाहिए जो कि,अक्षय तर्पण, जोंक चिकित्सा जैसी आयुर्वेद तकनीकों का उपयोग कर और यहां तक कि कुछ विशेष जड़ी बूटियों का उपयोग कर एक सप्ताह के अंदर रोगियों का पूरा इलाज कर देंगे। इसके अलावा आयुर्वेद विशेषज्ञों के विशाल समूह ने भी खुले पत्र में कहा है कि निजी अस्पतालों में इस इलाज के लिए मरीजों को लाखों खर्च करने की आवश्यकता नहीं है।

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