मोहाली,  

 फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली में ऑर्थोपेडिक्स टीम ने हाल ही में एक 66 वर्षीय व्यक्ति की हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया है। रोगी को पहले भी एक हिप रिप्लेसमेंट प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था, हालांकि, टूट-फूट के कारण उसके कप टूट गए और हड्डी को भी भारी नुकसान हुआ। डॉ.संदीप गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस कठिन और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को मरीज की हालत को देखते हुए काफी तेजी से तैयारी कर अंजाम दिया गया, जिसमें लगभग 3 घंटे का समय लगा।


जांच करने पर, एक एक्स-रे से पता चला कि रोगी का एसिटाबुलम (कूल्हे की हड्डी का सॉकेट) काफी टूट-फूट के बाद टूट गया था और जोड़ का सिर रोगी की हड्डी से होकर गुजरा था, जिससे उसकी पैल्विक बोन गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी। सॉकेट पैल्विक हड्डी में फिट बैठता है, और इस मामले में, यह एक प्लास्टिक सॉकेट था जो टूट-फूट के साथ पतला हो गया था।


रोगी कर्नल सतवंत सिंह फोर्टिस अस्पताल मोहाली आने से पहले कई अन्य अस्पतालों में भी गए थे और उन्हें बताया गया था कि सर्जरी के बाद, उन्हें सीमित शारीरिक गतिविधियों के साथ एक स्थिर लाइफस्टाइल से गुजरना पड़ेगा। हालांकि, फोर्टिस द्वारा अच्छे पुनर्वास के साथ, रोगी छह सप्ताह के भीतर एक बैसाखी के साथ चल रहा था और 100 दिनों के भीतर अपनी नियमित गतिविधियों में वापस आने में सक्षम था। सर्जरी के पांचवें दिन के बाद, उन्हें एक वॉकर के साथ चलने का अभ्यास करवाया गया और उसके बाद उनको अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।


डॉ.संदीप गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली ने कहा कि ‘‘इस तरह के मामलों में एक सफल परिणाम के लिए बहुत सावधानीपूर्वक सर्जरी की आवश्यकता होती है और इस प्रक्रिया के लिए डॉक्टरों को सही आधुनिक इम्पलांट्स का चयन करने की आवश्यकता होती है। फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली में हमारे पास एक समर्पित हिप रिप्लेसमेंट टीम है, और हम हिप रिप्लेसमेंट यूनिट रखने वाले इस क्षेत्र के पहले अस्पताल हैं। हमारी टीम नियमित रूप से रोगी का फॉलोअप कर रही है और आज तक, वह बिना किसी सहारे के चलने और सीढिय़ां चढऩे में सक्षम है। सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने यह सुनिश्चित किया कि मरीज नियमित रूप से फिजियोथेरेपी से गुजरे जिससे ठीक होने की प्रक्रिया में तेजी आई। मैं क्लीनिक विशेषज्ञता और रोगी देखभाल के प्रति उनकी निरंतर प्रतिबद्धता के लिए डॉक्टरों की टीम की सराहना करता हूं।’’


सर्जरी की जटिलता के बारे में बताते हुए, डॉ.गुप्ता ने कहा कि ‘‘इस विशेष मामले में कप केज कंस्ट्रक्शन की आवश्यकता थी क्योंकि पैल्विक बोन साइड पर हड्डी का भारी नुकसान हुआ था। हमें एक बड़े कप को केज से सुरक्षित रखना था और तीसरा कप भी डाल दिया था।’’


इस बीच, रोगी कर्नल सतवंत सिंह ने अपनी सफल सर्जरी का विवरण देते हुए कहा कि मैंने यहां और दिल्ली में बहुत से सीनियर ऑर्थोपेडिक्स सर्जनों से कंसल्टेशंस की और उन सभी की राय थी कि मेरी उम्र और हड्डी की स्थिति को देखते हुए, सबसे अच्छा ये रहेगा कि मैं एक शांत और गतिहीन जीवन शैली के साथ अपनी जिंदगी के बाकी दिन गुजार लूं। मुझको ये खास तौर पर कहा गया कि मैं दोबारा गोल्फ खेलने का ख्याल मन से ही निकाल दूं। आज मैं अपने सामान्य जीवन में वापस आ गया हूं, गोल्फ खेल रहा हूं और सारा का पूरा श्रेय डॉ. संदीप गुप्ता के नेतृत्व वाली फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली की टीम को जाता है।


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