चंडीगढ़, 9 जुलाई: आशा चाइल्ड केयर एंड डेवलपमेंट सेंटर, चंडीगढ़ द्वारा आज होटल हयात में ‘चाइल्ड डेवलपमेंट एंड न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर्स’ पर एक सीएमई का आयोजन किया गया।
सीएमई में बाल चिकित्सकों, जनरल प्रैक्टिशनर्स, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट्स, स्कूल शिक्षकों, स्पेशल एजुकेटर्स और थैरापिस्ट्स और सरकारी क्षेत्र में कार्यरत आरबीएसके, एनआरएचएम के अधिकारियों ने पहली बार एक साथ इस विषय पर विचार-विमर्श किया।
सीएमई में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बाल विकास और न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर्स, ऑटिज्म, लर्निंग डिसऑर्डर्स, बच्चों के विकास और व्यवहार पर अनुवांशिक (जैनेटिक) प्रभावों के बारे में खुलकर चर्चा की।
इस दौरान डॉ.समीर हसन दलवई ने प्रमुख प्रवक्ता के तौर पर उपस्थित लोगों को संबोधित किया। डॉ.समीर, न्यू होराइजन्स चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर, मुंबई के संस्थापक निदेशक और आईएपी मुंबई शाखा के अध्यक्ष और आईएपी चैप्टर ऑफ न्यूरो डेवलपमेंटल पीडियाट्रिक्स के चेयरपर्सन हैं।
इस अवसर पर अन्य प्रवक्ताओं में डॉ. सच्चिदानंद कामथ भी शामिल थे जो कि आईएपी चाइल्डहुड डिसेबिलिटी ग्रुप (2003 में गठित) के संस्थापक सदस्य हैं।
इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रवक्ताओं ने कहा कि बाल चिकित्सा के क्षेत्र में काफी बड़ा बदलाव आ रहा है। प्रत्येक पीडियाट्रिशन और बच्चों के साथ काम करने वाले सभी प्रोफेशनल्स को अपने ऑफिस में नियमित प्रेक्टिस के दौरान बच्चों के विकास संबंधित समस्याओं की बढ़ती संख्या का सामना करना पड़ रहा है। व्यस्त पीडियाट्रिशंस के लिए ये असंभव है कि वे इस संबंध में हर नए बदलाव से परिचित हों, जबकि उनके ऊपर बेहतरीन एवं स्तरीय उपचार प्रदान करने का भी दबाव है। ऐसे में उन्हें अपडेट रहना जरूरी होता जा रहा है।
प्रवक्ताओं ने कहा कि पीडियाट्रिशंस पर बच्चों के विकास, व्यवहार और शिक्षा संबंधित मां-बाप के सवालों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। एक पीडियाट्रिशन का बच्चे के स्वास्थ्य देखभाल में काफी गहरा प्रभाव होता है और और तनाव में मां-बाप सबसे पहले उन्हें ही कॉल करते हैं और परिवार के लिए बच्चों की परेशानी के समाधान के लिए वे पीडियाट्रिक के फैसले पर ही आगे का फैसला करते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि डॉ. समीर और डॉ कामथ ऑटिज्म, लर्निंग डिसेबिलिटी और एडीएचडी के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश तैयार करने वाले पहले पीडियाट्रिशंस हैं और इन दिशानिर्देशों को तैयार कर भारत सरकार को प्रस्तुत किया। भारत सरकार ने इनको अनुमोदित भी किया गया है।
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