मोहाली, 27 सितंबर: आईवी हेल्थकेयर ने दिल के रोगों के बढ़ते खतरों से मुकाबला करने के लिए उचित कीमतों पर सुगठित कार्डियोवेस्कुलर उपचार प्रबंधन सेवाएं प्रदान करने की घोषणा की है। आम लोगों को दिल के रोगों से सुरक्षा और प्रभावी इलाज के लिए उपचार की पूरी प्रक्रिया को एक ही जगह पर बेहद प्रभावी और सस्ती दरों पर प्रदान किया गया है।
आईवी हॉस्पिटल में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में डॉ.दीपक पुरी, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एवं हैड-कार्डियोवेस्कुलर साइसेंज ने कहा कि एक महत्वपूर्ण बदलाव से क्षेत्र के दिल के रोगों को काफी अधिक लाभ मिल सकता है और एकीकृत कार्डियोवेस्कुलर मैनेजमेंट प्राप्त करना वर्तमान में मरीजों के लिए समय की मांग है। इसमें रोगों से बचाव सहित प्रबंधन तक सभी विस्तृत उपचार शामिल हैं। इसमें हार्ट टीम रोग की जल्द पहचान करती है और बेहतरीन उपचार का भी फैसला करती है। हार्ट बायपास सर्जरी अब कम बेहद छोटे कट से की जा रही है जिसमें बीटिंग हार्ट सर्जरी, मिनिमली इनवेसिव कार्डियाक सर्जरी (एमआईसीएस) और नसों और
धमनियों की एंडोस्कोपिक हार्वेस्टिंग और टोटल एंडोस्कोपिक रोबोटिक असिस्टड कोरोनरी बायपास (टीईसीएबी) को शामिल करना शामिल है। इस नई तकनीक में एक छोटा सा कट लगाकर छाती के दोनों तरफ से दिल तक एक्सेस प्राप्त किया जाता है।
धमनियों की एंडोस्कोपिक हार्वेस्टिंग और टोटल एंडोस्कोपिक रोबोटिक असिस्टड कोरोनरी बायपास (टीईसीएबी) को शामिल करना शामिल है। इस नई तकनीक में एक छोटा सा कट लगाकर छाती के दोनों तरफ से दिल तक एक्सेस प्राप्त किया जाता है।
एक तरफ पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी को ब्रेस्टबोन (स्र्टनम) के माध्यम से अलग कर या काट कर की जाती है, वहीं एमआईसीएस एक सुरक्षित विकल्प है और इसने कार्डिक सर्जरी की पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया है।
इन नई तकनीकों के बारे में बात करते हुए, डॉ. पुरी ने कहा कि इन तकनीकों में दर्द कम करने, उसकी कार्यप्रणाली को बनाए रखने और सामान्य जीवन में जल्दी वापसी के साथ वसूली पर सकारात्मक प्रभाव पडऩे आदि कई फायदे हैं। रोगी, इन सभी प्रोसीजर्स के बाद काफी जल्दी ड्राइविंग और अन्य कौशल वाले काम शुरू कर सकते हैं।
हार्ट टीम मरीज के साथ बातचीत करते हुए बेस्ट और कम से कम कट वाली इनवेसिव प्रोसीजर करवाने संबंधी फैसला करने में मदद करती है और कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डिएक सर्जन संयुक्त तौर पर प्रोसीजर्स को पूरा करते हैं जिसे हाईब्रिड प्रोसीजर्स कहा जाता है और इससे सर्वश्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं।
डॉ.हरप्रीत एस. गिल्होत्रा, डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी ने कहा कि हर साल 17 लाख से अधिक लोग दिल की बीमारियों के कारण मर जाते हैं और 80 प्रतिशत मामलों में सामान्य जीवन शैली बदलावों से मरीज की जान को बचाया जा सकता है।
डॉ.अंकुर आहुजा, डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी ने कहा कि भारत में हृदय रोगियों की संख्या सबसे अधिक है और उनमें से ज्यादातर युवा आयु वर्ग के हैं क्योंकि भारत में जिन लोगों को दिल का दौरा पड़ता है, उनमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगियों की उम्र 50 वर्ष से कम है।
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