चंडीगढ़  

मानव जीवन के लिए रोटी, कपड़ा और मकान को मूलभूत जरूरतें माना गया है। धर्म शास्त्रों में आवास प्रदान करना पुण्य का काम माना जाता रहा है, लेकिन इस पदार्थवादी युग में यह अच्छा खासा फायदा देने वाला व्यवसाय बन चुका है। पिछले कुछ दशकों में जमीन की आसमान छूती कीमतों ने हर ऐरे - गैरे, नत्थू - खैरे को बिल्डर एवं प्रॉपर्टी डीलर बनने का लालच दिया। इस व्यवसाय में कुछ लोगों ने खूब चांदी कूटी। सरकार बदली तो नीतियां भी बदली। नीतियां बदली तो हालात भी बदल गए। अब बदले हालात में जमीनी हकीकत यह है कि पूडा जैसी सरकारी संस्था को भी उपभोक्ता अदालत में निरंतर झटके पे झटका मिल रहा है।

 ताजा मामले में जुलाई 2020 को जरनैल सिंह नामक व्यक्ति जो कि पंजाब के जिला मानसा, तहसील बुढलाडा के गांव रली का निवासी है, ने उपभोक्ता अदालत में केस किया कि पंजाब अर्बन प्लैनिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी से उसे न्याय दिलाया जाए। पूडा ने धोखे से ना सिर्फ उसका प्लाट बदल दिया बल्कि जून 2013 में दिया जाने वाला प्लाट उसे फरवरी 2018 में ले लेने का पत्र भेजा। प्लाट लेने से मना करने पर उसे सिर्फ उसकी मूल राशि ही वापस की गई। बार-बार आग्रह करने पर भी 6 साल का ब्याज नहीं दिया गया। मानसा के एडवोकेट दीपक कांसल ने जब उपभोक्ता अदालत में सारी स्थिति स्पष्ट की तो अदालत ने पूडा को मूल राशि पर पूरा ब्याज तथा केस का खर्चा देने के आदेश दिए।

 कुछ इसी तरह के झटके श्रवण कुमार, गोविंदर सिंह एवं राजेंद्र सिंह के केस में भी लगे। इन तीनों केसों में अदालत ने उपभोक्ता द्वारा दी गई पूरी राशि 12 फ़ीसदी ब्याज सहित वापस करने के आदेश पारित किए। केस का खर्चा अलग से देने का आदेश भी दिया।

 याचिकाकर्ताओं के वकील दीपक कांसल के अनुसार उपभोक्ता अदालतों का बिल्डरों एवं आवास सोसायटी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करने का कड़ा नोटिस लिया जा रहा है स्टेट कमीशन भी इस संबंधी कई बार सख्त फैसले दे चुका है जिसको देखते हुए जिला अदालतों ने भी ऐसे मामलों में सख्ती बरतना शुरू कर दिया है जिसका आम जनता द्वारा भरपूर स्वागत किया जा रहा है।

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