- पानी के बिल में कुड़ा शुल्क जोड़ कर हर साल बढ़ाना जेब पर पड़ेगा भारी- रमेश ठाकुर
- गार्बेज कलेक्शन वैन को आना चाहिए दो शिफ्टों में- शुक्ला
- पहले की तरह रेहड़ी से कुड़ा उठाना ज्यादा कारगर इससे सरकारी खजाने की भी होगी बचत- ओंकार सैनी
चंडीगढ़
चंडीगढ शहर की समाज सेवी संस्था समस्या समाधान टीम चंडीगढ में चंडीगढ़वासियों के घर से कूड़ा उठाने वाली योजना और उससे जुड़े शुल्क को पानी के बिल में जोड़ कर देने पर शहरवासियों को आने वाली परेशानियों को शहर के प्रशासक, सलाहाकार, नगर निगम कमिश्नर समेत सभी पार्षदों को चिट्ठी लिखकर सलाह स्वरूप कुड़ा उठाने के बिलों को पानी के बिलों में जोड़ कर देने पर आपत्ति व्यक्त की हैI
इस पर समस्या समाधान टीम के रमेश ठाकुर का कहना है कि पिछले 2 साल से पानी के बिलों में बहुत बढ़ोतरी हुई है I पानी के बिल में पहले से ही बहुत से शुल्क जुड़ कर आ रहे है, जैसे की ग्रीन बेल्ट और पार्को के रखरखाव के लिए 20 रुपय हर महीने हर कनेक्शन पर लिया जाता है और नई नोटिफिकेशन के तहत हर साल एक अप्रैल को पानी के बिलों में 3 % की बढ़ोतरी बिना किसी अग्रिम मंजूरी के होगी I अब ये कूड़ा उठाने का शुल्क भी पानी के बिल में जोड़ कर देने का निर्णय किया गया है, जो कि सभी वर्गों के लोगों की जेब पर भारी पड़ेगा.
इस पर बबलू वर्मा का कहना है कि कूड़ा उठाने के लिए पहले साइकिल रेहड़ी का इस्तमाल किया जाता रहा है और अभी भी बहुत से एरिया में उसी रेहड़ी का इस्तमाल हो रहा है क्योंकि नगर निगम के पास कूड़ा उठाने वाली गाडियों की कमी है दूसरा गाड़िया नगर निगम में शामिल गावों की तंग गलियों में नही जा पाती, वहा पर ये रेहड़ी आराम से चली जाती है। तीसरा ये कुड़ा उठाने वाली रेहड़ीयां ना तो गाडियों की तरह वायु और ध्वनि प्रदूषण करती है और ना ही सरकारी खजाने पर हर रोज का तेल खर्चे और बीमा शुल्क का भार डालती है इसलिए हमारा सुझाव है की नगर निगम चंडीगढ़ को नई कूड़ा उठाने वाली गाड़िया खरीदने की बजाये पहले की तरह कूड़ा उठाने के लिए साइकिल रेहड़ी के इस्तमाल को मंजूरी देनी चाहिए।
इस पर समस्या समाधान टीम के मनोज शुक्ला ने कहा कि डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन वैन से कूड़ा उठाने आने का कोई तय समय नही है।कूड़ा उठाने वाली गाड़ी कई दफा सुबह बहुत जल्दी आ जाती है और कई दफा देर से आती है। इस वजह से शहरवासियो को काफ़ी दिक्कत पेश आ रही है, खास करके नौकरी करने वाले दम्पतियों को क्योंकि उनको सुबह 8 बजे घर से निकालना होता है और शाम 6 बजे के करीब वापिस आते है, इस वजह से उनका कूड़ा 6 दिनों तक घर पर ही रखा रहता है।उनको कूड़ा गाड़ी में डालने के लिए अपने काम से आधा दिन की छुट्टी लेनी पड़ती है। वैसे भी सुबह के समय घर में बहुत काम होता है और ऐसे समय में गार्बेज कलेक्शन वैन के आने पर काम और बढ़ जाता हैI इसलिए हमारा सुझाव है की गार्बेज कलेक्शन वैन को कूड़ा उठाने के लिए दो शिफ्टों (पहली सुबह 6 से 10 बजे और शाम को 4 से 8 बजे के बिच ) में चलाया जाये, ताकि सुबह कूड़ा ना गिरा पाने वाले घर, शाम को गिरा पाए।
इसके इलावा शिशुपाल ने बताया कि डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन वैन के कूड़ा उठाने आने पर बहुत से लोगों को उनके आने का नही पता लगता जिसके कारण घर के अंदर काम में व्यस्त लोग और टॉप फ्लोर पर रहने वाले परिवार कूड़ा गिराने से चूक जाते है। गार्बेज कलेक्शन वैन वाले बहुत से एरिया में गाड़ी का हॉर्न बजा कर लोगो को सूचित भी करते है परन्तु ये समस्या का कोई स्थाई निवारण नही है क्योंकि सड़क पर गली में वाहनों का आना जाना लगा रहता है और लोगों को बार बार,अपना काम बीच में छोड़ कर घर से बहार निकल कर देखना पड़ता है की गाड़ी आई या नही। इसलिए डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन वैन के कूड़ा उठाने आने वाले कर्मचारीयों को गली में आने पर सिटी बजा कर लोगों को सूचित किया जाना चाहिए या फिर पहले की तरह सफाई के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए विज्ञापन के साथ छोटा स्पीकर लगा कर गाड़ी को भेजना चाहिए।
इस पर ओंकार सैनी जी का कहना है कि रेहड़ी पर कूड़ा उठा कर ले जाने वाले कर्मचारी लोगों को बिना तंग किये घर के दरवाजे पर रखा कूड़ा उठा लेते थे मगर मौजदा कूड़ा उठाने वाली गाड़ी पर तैनात कर्मचारी ऐसा नही करते इसलिए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता हैI तय समय पर ना आने का मुख्य कारण कूड़ा उठाने वाली गाडियों की कमी है इसलिए हम ने कूड़ा उठाने वाली गाडियों की संख्या बढाने की बजाये कूड़ा उठाने वाली रेहडियो को लगाया जाने की विनती की है इससे सरकारी खजाने की बचत होगी और बेरोजगार लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
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