डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर), 12 अक्तूबर: पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरेन्द्र ङ्क्षसह ने बादल सरकार के लिए लुक आऊट नोटिस जारी किया है, जो राज्य की अनाज मंडियों से पूरी तरह गायब नजर आ रही है।
इस क्रम में राज्य की अलग-अलग अनाज मंडियों के दौरे के अवसर पर पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने पत्रकारों को बताया कि सरकार कहीं भी नजर नहीं आ रही है, जिस कारण किसानों को मजबूरी में धान एम.एस.पी से बहुत कम रेट पर बेचना पड़ रहा है।
इस दौरान कैप्टन अमरेन्द्र ने फतेहगढ़ चूडिय़ां, कलानौर, डेरा बाबा नानक, घनैया के बेट व बटाला की मंडियों में किसानों के साथ मुलाकात की। किसानों ने उन्हें बताया कि सरकार ने खरीद प्रक्रिया लगभग बंद की हुई है। जिस पर उन्होंने कहा कि वह हैरान हैं कि सरकार कहां गायब हो गई है।
किसानों ने कैप्टन अमरेन्द्र को बताया कि उनमें से ज्यादातर को मंडियों में बैठे एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है, जहां उनका धान खुले आसमान में पड़ा है। उन्होंने कहा कि यदि धान की समय पर ढुलाई न हुई, तो इसमें नमी की मात्रा बढ़ सकती है और खरीद एजेंसियों द्वारा उनका धान नकारने का डर है।
कैप्टन अमरेन्द्र ने कहा कि सरकार द्वारा 1 अक्तूबर से खरीद प्रक्रिया शुरू करने के दावों के विपरीत कहीं भी खरीद नजर नहीं आ रही। उन्होंने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री प्रकाश ङ्क्षसह बादल को पहले ही सावधान किया था, लेकिन वह समय पर धान की खरीद करने हेतु कोई कदम उठाने में नाकाम रहे।
इस अवसर पर किसानों ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष को बताया कि खरीद एजेंसियां कहीं भी नजर नहीं आ रही हैं। जिस कारण मजबूरन उनहें 1510 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम रेट पर धान बेचना पड़ रहा है। यहां तक कि कई बार उन्हें 1200 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल तक के बहुत कम रेट पर धान बेचना पड़ रहा है।
सीमावर्ती इलाकों का 3 दिवसीय दौरा कर रहे कैप्टन अमरेन्द्र ने किसानों को भरोसा दिया कि उनकी समस्याओं से वह अवगत हैं और वास्तविकता तो यह है कि वे सरकार द्वारा उनकी समस्याओं पर ध्यान न दिए जाने कारण इन हालातों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार खरीद से बचने के लिए बहाने ढूंढ रही है, जिसके पास किसानों को अदा करने के लिए पैसे नहंी हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रधान ने जोर देते हुए कहा कि पंजाब के किसानों को पहले ही पक्षपात का सामना करना पड़ रहा है7 जिसका खुलासा हरियाणा के मुकाबले यहां नमी के सख्त स्तर का है। उन्होंने खुलासा किया कि जहां पंजाब में सिर्फ 17 प्रतिशत नमी की मात्रा की इजाजत है, हरियाणा के लिए यह 22 प्रतिशत है।
कैप्टन अमरेन्द्र ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों के किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। जिन्हें पहले जबरन घरों व गांवों को छोडऩा पड़ा और अब मंडियों में अपने उत्पादन को बेचने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह अकालियों द्वारा आखिरी खरीद है।
इस दौरान कैप्टन अमरेन्द्र ने उन निवासियों को बधाई दी, जिन्होंने घरों को छोडऩे संबंधी सरकार के दबाव को मानने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि वह आपकी हिम्मत को जानते हैं, क्योंकि आप ने 1965 या 1971 के दौरान भी घर नहीं छोड़े थे।
इस अवसर पर कैप्टन अमरेन्द्र के साथ अन्यों के अलावा, तृप्त राङ्क्षजदर ङ्क्षसह बाजवा, सुखङ्क्षजदर रंधावा, हरप्रताप अजनाला भी मौजूद रहे।

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