हरियाणा के हितों पर राजनीतिक रोटियां सेंकते हुए चौटाला परिवार ने निभाई बादल से दोस्ती
चंडीगढ। आगामी 23 फरवरी से पंजाब में एसवाईएल की खुदाई को लेकर तैयार रहने का आह्वान कर रहे चौटाला परिवार पर हमला बोलते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा है कि इनेलो ने सत्ता में रहते हुए एसवाईएल के मुद्दे पर हरियाणा के हितों से खिलवाड किया और पंजाब में बादल परिवार के साथ अपनी दोस्ती निभाई। हरियाणा में वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा एसवाईएल पर किए गए प्रयास से इनेलो को अपनी राजनीतिक जमीन गुम होती नजर आ रही है, इसलिए वह बौखलाहट में प्रदेश का माहौल बिगाडने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें ऐसा करने से बाज आना चाहिए।
आज यहां जारी बयान में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला एवं उनके बेटे अभय सिंह चौटाला द्वारा एसवाईएल नहर की खुदाई को लेकर किए गए आह्वान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि एसवाईएल जैसे अति संवेदनशील मुद्दे को सुलझाने की दिशा में ईमानदारी से सरकार के साथ एकजुट होकर प्रयास करने की बजाय इनेलो एक बार फिर से इस मुद्दे पर नौटंकी कर रही है। उन्होंने कहा कि इनेलो बार-बार एसवाईएल का मुद्दा उठाकर हरियाणा के किसानों की भावना से खिलवाड कर रही है। इनेलो के प्रयास को सर्कसी करतब करार देते हुए बराला ने कहा कि इनेलो ने हमेशा हरियाणा के हितों को दरकिनार करते हुए सदैव राजनीतिक रोटियां सेंकी है। चौटाला परिवार ने अपने पगड़ी बदल भाई बादल परिवार से दोस्ती निभाने के चक्कर में हरियाणा के हित गिरवी रखे।
उन्होंने इनेलो के भावनात्मक आह्वान की सच्चाई सामने लाते हुए कहा कि इनेलो ने कभी एसवाईएल के मसले पर गंभीरता नहीं दिखाई। वर्ष 1977 में चौधरी देवीलाल ने मुख्यमंत्री बनते ही हरियाणा के हितों की बलि चढाकर एसवाईएल के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इसके बाद 1987 में एसवाईएल का पानी लाने के मुद्दे पर सत्ता में आए तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय देवीलाल भी एसवाईएल का निर्माण कार्य रुकवाकर हरियाणा की जनता के साथ धोखा किया गया। वर्ष 1999 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने ओमप्रकाश चौटाला ने बयान दिया कि हम सर्वोच्च न्यायालय में हरियाणा द्वारा लगाई गई याचिका को वापस लेंगे तथा इस मसले पर बैठकर हल करेंगे। जबकि पंजाब मुख्यमंत्री बादल स्पष्ट कर चुके थे कि वह हरियाणा को एक बूंद भी पानी नहीं देंगे, ऐसे में बातचीत के कोई मायने नहीं थे। चौटाला जनदबाव के कारण याचिका वापस नहीं ले सके, अन्यथा वह बहुत पहले ही हरियाणा हित की तिलांजलि दे चुके होते। इसके बाद वर्ष 2002 में भी सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला देने के एक माह पूर्व भी दोनों प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को बातचीत से मामले को सुलझाने के लिए कहा। लेकिन उस समय भी दोनों ओर से गंभीर प्रयास नहीं हुए। उन्होंने कहा कि चौटाला और बादल परिवार ने सत्ता में रहते हुए हमेशा हरियाणा के हिस्से के पानी को रोकने का ही प्रयास किया।
एसवाईएल पर भाजपा सरकार द्वारा किए गए प्रयास पर बोलते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सुप्रीम कोर्ट में 12 साल से लंबित चल रहे पे्रजिडेंशियल रेफरेंस की गंभीरता से पैरवी की, जिसपर 29 फरवरी 2016 से 12 मई 2016 तक नियमित सुनवाई हुई और अदालत ने पंजाब के द्वारा वर्ष 2004 में बनाए समझौता निरस्तीकरण अधिनियम 2004 को असंवैधानिक करार दिया और 10 नवम्बर 2016 को माननीय सर्वोच्य न्यायालय ने प्रेजिडेशियल रेफरेंस पर हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया। आज इनेलो को हरियाणा में अपनी राजनीतिक जमीन गुम होती नजर आ रही है, इसलिए वह बौखलाहट में प्रदेश का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार हरियाणा की ढाई करोड़ जनता के हितो की रक्षा के लिए गंभीरता से काम करेगी। अंतर राज्यीय मुद्दों चंडीगढ, रावी-व्यास से हरियाणा के हिस्से का पानी लाने के मुद्दे पर हरियाणा के हितों पर आंच नहीं आने दी जाएगी।
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