पंचायती राज को मजबूत करने के जनप्रतिनिधियों के बढ़ाये अधिकार

चंडीगढ 
हरियाणा में गावो के विकास के लिए नये वित्तीय वर्ष में कुल 3120 करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह राशि 56 प्रतिशत अधिक है। कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ ने बताया कि इसके अलावा नाबार्ड की मदद से प्रदेश के विकास पर अगले तीन वर्ष में 5000 करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे। इसमें से 1200 करोड़ इसी वर्ष 600 गाँवो पर खर्च किये जायेंगे। पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने के संकल्प को दोहराते हुए धनखड़ ने कहा कि अब पंचायतो द्वारा विकास के लिए 10 लाख के बजाय खर्च सीमा 20 लाख करना इसी का हिस्सा है। धनखड़ ने कहा कि सरकार लोकतंत्र को मजबूत करने में विश्वास रखती है,इसलिए पंचायतो, जिला परिषदों और ब्लाक समितियों के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया जा रहा है। इससे पंचायते शिक्षित से सक्षम और समर्थ होंगी।
राज्य में अक्तूबर 2014 में भाजपा की सरकार बनी। इस सरकार बनने के बाद गा्रमीण विकास पर सरकार का खास फोकस रहा है। प्रदेश में शिक्षित पंचायतों को बनाने का सपना राज्य के पंचायत मंत्री ओपी धनखड़ ने  देखा। इसे लागू करने के लिए भले ही कोर्ट तक चक्कर लगाने पड़े, मगर जीत सरकार  की हुई। हालांकि विपक्षियों ने इसमें भी बहुत अड़गें लगाने की कोशिशें की। पंचायतें बनने के बाद सरकार ने इनके मानदेय में वृद्धि की। पंच-सरपंच, जिला परिषदांे के सदस्य, ब्लाॅक समितियों के सदस्यों सहित सभी जनप्रतिनिधियों का मानदेय बढाया।वर्ष 2016 में शपथ समारोह आयोजित हुए और उसके बाद पंचायतों ने काम आरंभ किया। 

जनप्रतिनिधियों को अधिक अधिकार मिलें, इसके लिए भी सरकार ने खुले मन से काम किया। जिला परिषदों व ब्लाॅक समितियों के लिए बाकायदा विकास कराने के लिए अलग से धन देने की व्यवस्था पर काम किया। प्रदेश के विकास के लिए आमतौर पर दो हजार करोड़ के बजट का प्रावधान रहता है। इस वर्ष नए वित्तिय वर्ष मंे इसे 56 प्रतिशत बढाया गया है। इस बजट के हिसाब से कुल बजट का 60 प्रतिशत सीधे पंचायतों को विकास के लिए दिया जाता है। शेष 40 फीसदी राशि मंत्रियों और मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र से        घोषणाओं द्वारा खर्च के लिए दी जाती है। 

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