चण्डीगढ़, 12 अप्रैल-  हरियाणा सरकार हरियाणा रोडवेज की यूनियनों के पदाधिकारियों से खुले मन से बातचीत करने के लिए तैयार है क्योंकि सरकार जनता के हितों को सर्वोपरि चाहती है। सरकार ने रोडवेज यूनियनों व कर्मचारियों से से अपील की है कि वे शीघ्र ही काम पर वापिस लौटें ताकि प्रदेश की जनता को असुविधा न हो क्योंकि उनकी हड़ताल बे-बुनियाद हैं और उनकी मांग सच्चाई व तथ्यों से परे हैं, लेकिन फिर भी सरकार युनियनों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।
यह बात आज यहां परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस ढिल्लों ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि रोडवेज युनियनों का विरोध स्टेज कैरिज परमिट नीति के तहत जारी किए गए परमिटों को रद्द करने के लिए हैं और उनका कहना है कि इन परमिटों के जारी होने से रोडवेज को नुकसान होगा, जबकि यह सत्य नहीं है और तथ्य से परे है। उन्होंने बताया कि प्राईवेट आपरेटरों को परमिट जारी से रोडवेज का किसी भी प्रकार से प्रभाव कम नहीं होगा और न ही भविष्य में उनका रोजगार, वेतन, भत्तों इत्यादि पर कोई प्रभाव पडेंगा। उन्होंने कहा कि रोडवेज युनियनों की ये मांग बेबुनियाद हैं क्योंकि वर्तमान में पूरे देश के आंकडों को देखें तो 1000 लोगों के पीछे केवल आधी बस या 2000 लोगों के पीछे एक बस है और हरियाणा में यह स्थिति ओर भी भयावह है जिसके तहत 5000 लोगों के पीछे केवल दो बस हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमें वैसे तो प्रदेश की जनता को परिवहन सुविधा मुहैया करवाने के लिए 13500 बसों की जरूरत है परंतु वर्तमान में हम रोडवेज की 4200 बसें और प्राईवेट आपरेटर की 844 बसें ही लोगों को परिवहन सुविधा के तहत दे पा रहे हैं यानि कि 5044 बसें ही लोगों को मिल पा रही है। 
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने 300 बसों की खरीद कर ली है और उनकी चेसिज आ चुकी है और बाडी मेङ्क्षकंग का काम चल रहा है व दो से तीन महीनें के भीतर ये बसें रोडवेज के बेडे में शामिल हो जाएंगी तथा वहीं, 300 बसों के टेंडर हो चुके है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 300 ओर बसें इस साल में खरीदने के लिए प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि ये सभी 900 बसें बीएस-4 होंगी। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि रोडवेज के बेडे को ओर ज्यादा सुदढ किया जाए। श्री ढिल्लों ने बताया कि हरियाणा के कुल 1275 रूट संचालित हैं और इसमें से केवल 273 रूटों को प्राईवेट आपरेटरों को दिया गया है तथा 1000 रूटों पर हरियाणा रोडवेज की बसें संचालित हैं। उन्होंने कहा कि प्राईवेट आपरेटरों को दिए गए परमिट से हरियाणा रोडवेज के रूटों पर कोई प्रभाव नहीं पडेंगा क्योंकि इन प्राइवेट आपरेटरों को छोटे रूट दिए गए हैं और लंबी दूरी के रूट तथा हरियाणा से बाहर अन्य राज्यों जैसे कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर इत्यादि राज्यों में हरियाणा रोडवेज की बसों के रूट संचालित हैं। 
श्री ढिल्लों ने कहा कि सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि लोगों को असुविधा है और न ही ऐसी कोई नीति है जिससे लोगों को असुविधा हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति बिल्कुल पारदर्शी हैं और इस लिए सरकार ने केवल 844 परमिट ही दिए हैं और वर्ष 1993, 2001 व 2013 के तहत बनाई गई पुरानी परिवहन नीतियों के तहत चलने वाले रूटों पर ही ये परमिट दिए गए हैं और केवल कुछ रूटों पर ही बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि नई नीति के तहत 1669 परमिट लेने के लिए नए ्रावेदन प्राप्त हुए हैं और जिसमें से केवल 860 को ही आफर लेटर जारी किए गए हैं शेष अभी भी लंबित हैं। 
उन्होंने कहा कि प्राईवेट बसों में भी वो 39 श्रेणी के यात्री निशुल्क सफर करेंगें, जो हरियाणा रोडवेज की बस में करते हैं। इसके अलावा, हरियाणा रोडवेज के महाप्रबंधक द्वारा जारी पास-होल्डर भी इन प्राइवेट बसों में सफर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई प्राइवेट बस आपरेटर इन नियमों के विरूद्ध जाता है तो उसकी एक लाख रुपए की जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि इन प्राइवेट बस आपरेटरों को अगले 48 घंटों में जीपीएस सिस्टम भी लगाना होगा अगर नहीं लगाएंगें तो भी इनकी जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी।

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