मार्बल मार्केट एसोसिएशन, धनास व अग्रवाल सभा, रामदरबार ने उठाई आवाज




चंडीगढ़  (प्रवेश फरण्‍ड) 


चण्डीगढ़ के नए महापौर पद के लिए अगली बार अग्रवाल समुदाय से किसी को महापौर बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। आज इस बाबत मार्बल मार्केट एसोसिएशन, धनास के पदाधिकारियों की एक बैठक संस्था के महासचिव नरेश गर्ग की अध्यक्षता में हुई जिसमें भाजपा के स्थानीय आलाकमान से उनके समुदाय को इस बार उपेक्षित न किए जाने की मांग की गई। बैठक में एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारी सुरेश गुप्ता, मोहनलाल गोयल, भूपेंद्र गुलेरिया, नितिन गुप्ता व कोषाध्यक्ष अमित गर्ग आदि भी शामिल रहे। उधर रामदरबार अग्रवाल सभा के अध्यक्ष डॉ. सतपाल गोयल ने भी संस्था की ओर से यही मांग की है। उन्होंने इस मांग को लेकर भाजपा चंडीगढ़ अध्यक्ष को पत्र लिखा है।


इससे पहले नरेन्द्र मोदी टीम, चण्डीगढ़ के प्रधान राजिंदर गुप्ता, ग्रेन मार्किट एसोसिएशन, चण्डीगढ़ के प्रधान रामकरण गुप्ता, मनीमाजरा अग्रवाल सभा के प्रधान पवन सिंगला व रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, पिपलीवाला टाऊन, मनीमाजरा के प्रधान राजेश सिंगला आदि ने भी इस समुदाय को प्रतिनिधित्व देने की मांग करते हुए कहा था कि जल्द ही वैश्य समुदाय से जुडी संस्थाए एक मंच पर आकर भाजपा हाईकमान के समक्ष ये मांग रखेंगी। उल्लेखनीय है कि इस समय निगम में भाजपा से राजेश गुप्ता बिट्टू व विनोद अग्रवाल इस समुदाय से ही आते हैं। उधर मनीमाजरा से भी महापौर बनाये जाने की आवाजें उठ रहीं हैं। मनीमाजरा से भी आजतक कोई भी महापौर नहीं बन पाया। वर्ष 2000-01 के कार्यकाल के बीच में राजकुमार गोयल के पद से इस्तीफा दे दिए जाने के बाद मनीमाजरा से चुन कर आये गुरचरण दास काला को इस वर्ष के शेष कार्यकाल के लिए महापौर बनने का मौका तो जरूर मिला, पर वे कार्यकारी महापौर ही थे। मनीमाजरा की जनता से पिछले कई वर्षों से भाजपा को ही भरपूर समर्थन मिलता आ रहा है। मनीमाजरा की संस्थाए भी जल्द ही यहां से महापौर बनाये जाने की मांग भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष उठाने जा रहीं हैं।


बता दें कि चण्डीगढ़ नगर निगम के पांच वर्षीय कार्यकाल के पहले और अंतिम वर्ष में सामान्य वर्ग से महापौर चुना जाता है। चण्डीगढ़ में आज तक वैश्य समुदाय से सिर्फ दो ही महापौर बने हैं जिनमें से एक ज्ञानचंद गुप्ता थे जबकि दूसरे राजकुमार गोयल थे जो एक विवाद के कारण कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए व उन्हें पद छोड़ना पड़ा। ये दोनों ही महापौर चण्डीगढ़ नगर निगम के पहले कार्यकाल में ही बने थे। उसके बाद चार बार नगर निगम का गठन हो चुका है परन्तु वैश्य समुदाय से किसी का भी महापौर पद के लिए नम्बर नहीं लग पाया हालाँकि शहर में इस समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव व आबादी है तथा निगम में इनके प्रतिनिधि बराबर चुन कर आते रहें हैं।

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