• -उच्च शिक्षा के लिए रूसा के अधीन कालेजों के लिए आए फंडों में 108 करोड़ के घोटाले का आरोप 
  • -ढाई दशकों से जानबूझ कर सरकारी कालेजों में नहीं की भर्ती 
  • -कालेजों के रूसा फंड घोटाले की हाईकोर्ट की निगरानी में हो समयबद्ध जांच 




चंडीगढ़,

‘पंजाब पर राज करने वाली कांग्रेस और अकाली भाजपा सरकारों ने प्रदेश की नौजवानी को बर्बाद करने के लिए एक साजिश के तहत सरकारी उच्च शिक्षा प्रणाली को तबाह किया है, जिससे प्रदेश में ड्रग माफिया और प्राईवेट शिक्षा माफिया स्थापित किया जा सके।’ यह आरोप लगाते आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने प्रदेश की सरकार पर केंद्र सरकार की ओर से उच्च शिक्षा के विकास के लिए भेजे 108 करोड़ से ज़्यादा रुपए के घोटाले का आरोप लगाया और इसकी हाईकोर्ट की निगरानी में समयबद्ध जांच करवाने की मांग की है। 

बुधवार को यहां प्रेसवार्ता के दौरान पंजाब के सरकारी कालेजों और उच्च शिक्षा प्रणाली की तबाही के बारे खुलासा करते ‘आप’ के सीनियर नेता और विधान सभा हलका पायल के इंचार्ज मनविन्दर सिंह ग्यासपुरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और अकाली दल समेत भाजपा की सरकारों ने प्रदेश में उच्च शिक्षा के विकास के लिए नहीं बल्कि विनाश के लिए काम किया। उन्होंने कहा केंद्र सरकार की ओर से सरकारी कालेजों के विकास और उच्च शिक्षा के लिए भेजे 108.60 करोड़ से ज़्यादा रुपए का घोटाला किया है। 

ग्यासपुरा ने केंद्रीय फंडों के बारे में बताया कि साल 2000 में केंद्र सरकार ने देश में उच्च शिक्षा के मानक में सुधार करने के लिए ‘राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान’(रूसा) शुरू किया था, जिसके अधीन सरकारी कालेजों के नवनिर्माण और उच्च शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए 60 प्रतिशत रकम केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत रकम प्रदेश सरकार ने देनी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब की कैप्टन और बादल सरकारों ने 13 साल इस अभियान के अंतर्गत अपने हिस्से की रकम दी ही नहीं, निष्कर्ष के तौर पर लाखों विद्यार्थियों, टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के लिए सरकारी कालेजों के दरवाजे बंद हो गए।

ग्यासपुरा ने आगे खुलासा किया कि साल 2019-20 तक केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान-1(रूसा) के अंतर्गत 124.32 करोड़ पंजाब सरकार को जारी किया, जिसमें पंजाब सरकार ने 86 करोड़ का हिस्सा डालना था, परन्तु सरकार ने केवल 36 करोड़ रुपए का ही हिस्सा दिया। उन्होंने कहा कि इस 160 करोड़ रुपए की रकम में से पंजाब सरकार ने केवल 80 करोड़ रुपए इस्तेमाल किए जाने का सर्टीफिकेट जारी किया है, जबकि बाकी 80 करोड़ से ज़्यादा की रकम खुर्द-बुर्द कर दी, जो जांच का विषय है।

उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार ने रूसा-2 के अंतर्गत सरकारी कालेजों में खोज-कार्यों, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालय के लिए 28.60 करोड़ रुपए पंजाब सरकार को जारी किए, परन्तु पंजाब सरकार ने अपने हिस्से की रकम तो क्या देनी थी, बल्कि केंद्र की ओर से आए इस 28.60 करोड़ को भी गोल कर दिया, तो ही रूसा-2 के अंतर्गत आई रकम का प्रयोग सर्टीफिकेट (यू.सी) ही नहीं दिया। जिससे घोटाले की कुल राशि 108 करोड़ को पार कर गई।

ग्यासपुरा ने पड़ोसी प्रदेश हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की तुलना में पंजाब के सरकारी कालेजों की संख्या और उच्च शिक्षा के आंकड़ों से दयनीय तस्वीर पेश करते बताया कि ढाई दशकों से पंजाब के सरकारी कालेजों में अध्यापकों (टीचिंग) और नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती ही नहीं की। जिस कारण सरकारी कालेजों में लेक्चरार और प्रौफेसर ही नहीं बचे और सरकारी कालेज दिन-ब-दिन दम तोड़ चले जा रहे हैं। दूसरी तरफ प्राईवेट शिक्षा माफिया तरक्की कर रहा है। नतीजे के तौर पर पंजाब के नौजवान निराश और बेरोजगार हो कर नशों की दलदल में धंस रहे हैं या विदेश जाने की दौड़ में हैं।

ग्यासपुरा ने कहा कि पंजाब सरकार ने सरकारी कालेजों के नवनिर्माण और उच्च शिक्षा के विकास के लिए केंद्र की तरफ से जारी किये फंडों की हाईकोर्ट की निगरानी में समयबद्ध जांच होनी चाहिए।

उन्होंने दावा किया कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर सरकारी कालेजों का तस्वीर बदल करके विश्व स्तरीय उच्च शिक्षा मुहैया करवाई जाएगी। इसके साथ ही पिछले समय के दौरान फंडों में हुए घोटालों की जांच करवाई जायेगी और दोषी पाए जाने वाले मंत्रियों और आधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।


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