• बहरे देशों को अक्सर गूंगे प्रधानमंत्री ही मिलते हैं : विवेक हंस गरचा
  • आवाम को जागने की जरूरत है, सत्ताधारी कांग्रेस-भाजपा व आप सत्ता प्राप्ति के लिए धर्मवाद की आग लगाकर देशवासियों को बांट नहीं सकते : विवेक हंस गरचा
  • मीडिया को अपील सत्ताधारी पार्टियों के इशारे पर मेरी आवाज़ को दबाने  का प्रयास ना किया जाये : विवेक हंस गरचा 



चंडीगढ़ 


न्यू कांग्रेस पार्टी ने सैक्टर -26 (ई. डूबलू.एस) कॉलोनी में (एनसीपी) कायकर्ताओं ने हर साल की तरह इस वर्ष भी स्वतंत्रता दिवस को ''आज़ादी बचाओ दिवस'' के रूप में मनाया और इस मौके पर ध्वजारोहण युवा प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष विवेक हंस गरचा ने किया तिरंगा फहराने के बाद चंडीगढ़ सैक्टर -3 वार मेमोरियल में गरचा ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की | 

विवेक हंस गरचा ने भाषण देते हुए कहा यह राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना से हमारी संप्रभुता का उत्सव मनाने का अवसर है एवं यह उन लाखों करोड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को आभार के साथ याद करने का भी दिन है। जिन्होंने अपना खून पसीना एक करके देश को आज़ाद करवाया व अपने लहू से भारतीय इतिहास के सुनहरे पनें लिखे | लेकिन मौजूदा सरकारों की देन है कि नफ़रतों की आग में जल रहा जनतंत्र है.... आम आदमी मर रहा है क्या यही स्वतंत्रता है...!!!

विवेक हंस गरचा ने कहा कि अगर आज सचमुच में हम आज़ाद होते तो किसान 8 महिनो से धरने नहीं दे रहे होते ..!! क्या यह आज़ादी है..??

देश भर में हमारी बहन बेटियों पर बलात्कार कर जलाकर मार दिया जाता है..!! आरोपीयो को सजा दिलाने के लिए हमे आंदोलन करने पड़ते है..!!

आरोपीयो को सजा मिलेगी भी या नही कोई भरोसा नही..!! क्या यह आज़ादी है..?? दलित समाज के लोगों को जाती के नाम पर मारा पीटा जाता है..!! क्या यह आज़ादी है..?? हमारे देश में स्कूलों में फीस इतनी बढ़ा दी है कि एक ग़रीब व्यक्ति फीस भर ना सके और ग़रीब के बच्चे पढ़े लीखें नही..!!क्या यह आज़ादी है..?? दलितों को व देश में पढ़े - लिखें नौजवानों को नौंकरी भी कॉन्ट्रैक्ट में करनी पड़ती है...!! नौंकरी में पर्मानेंट कहीं नही करते..!! हमारे बच्चों का भविष्य अंधकार में है..!! क्या यह आज़ादी है..??

कौन सी आज़ादी..!! कैसी आज़ादी..!! कहाँ मिली है आज़ादी..!! ज़रा सोचो कहाँ है आज़ादी..!! 

विवेक हंस गरचा ने कहा आज़ादी की बधाई हो उन्हें, जिन्हें लगता है वो आज़ाद हैं, मेरी आज़ादी में अभी बहुत देर बाकी है । जिस दिन मेट्रो स्टेशन के बाहर कोई भूखा बच्चा ना मिले..समझ लेना हम आज़ाद हो गए। जिस दिन तिरंगे बेचने को सड़क पर कोई बच्चा ना मिले...समझ लेना हम आज़ाद हो गए । जिस दिन सुबह अखबार खोलने से दिल ना डरे..समझ लेना हम आज़ाद हो गए। जिस दिन मंदिरों - मस्जिदों से ज्यादा..देश में स्कूल होंगे ..समझ लेना हम आज़ाद हो गए | जिस दिन सरहद पर गोली नहीं गुलदस्ते का तौफा मिले...समझ लेना देश आज़ाद हो गया ...बहरे देशों को अक्सर गूंगे प्रधानमंत्री ही मिलते हैं | इस मौके पर छोटे बच्चों ने भी देश भक्ति के गानों पर डांस कर प्रस्तुति दी समारोह में एस.एस गरेवाल, सुरजीत सिंह बिटटा, गुरिंदर पाल सिंह काहलों, विवेक हंस गरचा, श्री मति बबिता रानी, रविंदर सिंह, रजनी खोसला इत्यादि मौजूद थे।

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