झज्जर के 25 गांवों की 6 हजार एकड़ भूमि पर होगा मत्स्य पालन
चुनौती की अवसर में बदलने की कवायद
झज्जर। जिले के उन किसानों के लिए अच्छी खबर है जिन किसानों की भूमि जलभराव से प्रभावित है। ऐसी भूमि को मत्स्य विभाग लीज पर लेगा और उस जमीन पर मछली पालन करेगा। विभाग ने ऐसी भूमि की पहचान भी कर ली है। खास बात है कि इस योजना के लिए झज्जर को पायलेट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। दिल्ली के निकट होने के कारण मछली की खेती करने वाले किसानों को अच्छा लाभ भी मिलता है। यहाँ का एक किसान मत्स्य रत्न पुरस्कार भी जीत चुका है।
मैदानी इलाकों में मछली उत्पादन में हरियाणा तेजी से आगे बढ़ रहा है। किसानों को इससे अच्छी आय भी हो रही है। मगर जिले की करीब 6 हजार एकड़ भूमि ऐसी है, जिस पर जलप्रभाव होने के कारण खेती नहीं हो पाती। ऐसे किसानों को नुकसान होता है। इसलिए कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ ने इस चुनौती को अवसर में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस भूमि का सदुपयोग कैसे हो, इसे लेकर पिछले दिनों कृषि मन्त्री ने मत्स्य, सिंचाई, पंचायत और कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई। जिसमे यह तय हुआ की इस भूमि को मत्स्य विभाग लीज पर लेकर मत्स्य पालन करे।
अभी तक जलभराव वालीभूमि एक चुनौती बनी हुई है, अब इसे अवसर में बदलने का प्रयास किया है।
हरियाणा के कृषि म दिल्ली के साथ का यह क्षेत्र होने के कारण इन जिलों को चुना गया। पैरी अर्बन एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने की कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ की योजना में ये पायलेट प्रोजेक्ट मील का पत्थर साबित हो सकता है।
योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ ने बताया कि इस नई योजना के अनुसार किसानों की ऐसी भूमि को मत्स्य पालन विभाग लीज पर लेगा। पंचायत विभाग के निर्धारित रेट के अनुसार इस जमीन को पांच साल के लिए देना होगा। इच्छुक किसान अपने अपने बी डी ओ को जानकारी दे सकते है । लीज पर ली गई जमीन पर मत्स्य विभाग मछली की खेती कराएगा। इससे किसानों की अनुपयोगी भूमि से उनको अच्छी आय हो सकेगी।
कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ ने बताया कि इस योजना पर तेजी से काम करने के लिये अथॉरिटी बनाकर जिम्मेदारी भी तय की गई है। इस कमेटी में कृषि, पंचायत, सिंचाई और मत्स्य विभाग के राज्य स्तर के अधिकारी शामिल होंगे। यह कमेटी इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए तेजी से काम करेगी । कृषि विभाग के निदेशक इस कमेटी का संचालन करेंगे, जबकि मत्स्य विभाग के डी जी सचिव होंगे।
उल्लेखनीय है कि राज्य में कोई 4 लाख 15 हजार हैक्टेयर भूमि इस समस्या से प्रभावित है। इसमें से 62728 हैक्टेयर भूमि ऐसी है जहाँ का जमीनी पानी लेवल(चव्वा) 1.50 मीटर से कम है जबकि 3,52,204 हैक्टेयर भूमि ऐसी है जिसका लेवल 1.5 से 3 मीटर है। इस भूमि से किसान को फसल नहीं मिलती। किसानों को भूमि से आय नही होने के कारण उनके लिए यह एक चुनौती बनी हुई है। अब कृषि मंत्री ओ पी धनखड़ ने इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिये ठोस कदम उठाये हैं। इस बैठक में अधिकारियों की कमेटी को धरातल पर काम करने के निर्देश कृषि मंत्री ने दिए हैं और20 मई तक रिपोर्ट मांगी है।
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