- थिएटर कलाकार निशा लूथरा ने अर्चना आर सिंह की कविता पर जस के शान की डांस प्रस्तुति का निर्देशन किया
चंडीगढ़
डॉ. अर्चना आर सिंह, प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन स्टडीज, पंजाब यूनिवर्सिटी के कविता संग्रह - 'कविता तो कही नहीं ' के औपचारिक अनावरण के लिए एक अनूठे काव्य नृत्य का प्रदर्शन किया गया। मीडिया के लिए 4 मिनट की फिल्म 'कविता पर आधारित ' का प्रीव्यू रखा गया। यह एक्ट कहानी सुनाने की कला और किताब में शामिल एक कविता 'कभी वाचल कभी मौन ' का एक मिश्रण है। पीयू की जनसंपर्क निदेशक रेणुका सलवान और स्तंभकार रेनी सिंह भी स्क्रीनिंग के समय उपस्थित रहे।
द नैरेटर्स परफॉर्मिंग आर्ट्स सोसाइटी की सह-संस्थापक एवं परफॉर्म की गई कविता की निदेशक निशा लूथरा ने कहा, 'हमने इस क्षेत्र में एक नई विजुअल परफॉर्मेंस आर्ट यानी- परफॉर्म की गयी कविता की शुरुआत करने की एक कोशिश की है। वास्तव में इसका मतलब है कवि द्वारा सुनाई जा रही काव्य पंक्तियों पर कलाकार की भाव भंगिमा और उसके अंगों का संचालन। मुझे लगता है कि अगर एक कविता को सुना और पढ़ा जा सकता है तो उसे देखा और महसूस भी क्यों नहीं किया जा सकता। इसी विचार ने नयी प्रदर्शन कला शैली को जन्म दिया।'
निशा ने आगे कहा, 'हमने अर्चना जी की कविताओं के संग्रह में से 'कभी वाचल कभी मौन' कविता को चुना, क्योंकि यह एक महिला के दिल के अंदरूनी हिस्सों में झांकती है। एक महिला अपने दिल में उत्पन्न हो रही असंख्य भावनाओं को समझने की कोशिश में घंटों बिता सकती है। वह हर भावना को तौलती है और फिर चुनती है। वह बोलती है और नहीं भी। वह रोती है और छिपाती भी है। वह बहस करती है और अपनी बात कह भी नहीं पाती। इन सभी पहलुओं को अर्चना जी ने खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है। '
सेक्टर 9 स्थित डांस डाचा एलीट स्टूडियो में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. अर्चना आर सिंह के हिंदी काव्य संग्रह 'कविता तो कही नहीं ' का औपचारिक अनावरण भी हुआ। किताब का विमोचन डॉ. अर्चना आर सिंह, निशा लूथरा और डांस डाचा एलीट की संस्थापक एवं चंडीगढ़ की जानी मानी डांस इंस्ट्रक्टर जस के शान ने किया।
डॉ. अर्चना आर. सिंह लेखन को अपनी सेहत के लिए उपयोगी मानती हैं। उन्होंने कहा, 'इस संग्रह में छह अध्यायों के तहत 62 कविताएं हैं। पुस्तक के शीर्षक 'कविता तो कही नहीं ' से यह स्पष्ट है कि संग्रह काव्य की पारंपरिक विधाओं में फिट नहीं होता है। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि मैं कविता लिखने के प्रारूप की औपचारिकता से नहीं बच रही, बस अपने विचारों को किसी भी सीमा में बांधना नहीं चाहती। ये कविताएं उन महिलाओं को समर्पित हैं जिन्हें तमाम बाधाओं के बीच काम करना पड़ता है। कई बार एक आधुनिक और सफल महिला ऊपर से खुश और संतुष्ट दिखती है, वह अंदर कहीं गहरे संघर्ष से गुजर रही होती है। अपने आस-पास के सब लोगों को खुश रखने के प्रयास में वह अपने मन की आवाज को दबा कर रखती है। '
जस के शान ने कहा, 'सच तो यह है कि अपनी गुरु और यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. अर्चना आर सिंह की कविता पर अभिनय प्रस्तुत करने का मुझे गर्व है। अभिनय की प्रस्तुति से पहले जब निशा ने मुझे कविता का भाव समझाया, तो मुझे लगा कि अर्चना जी की सभी पंक्तियां सिर्फ मेरे लिए ही लिखी गई हैं। '
काव्य अभिनय का वीडियो कल्पनाशीलता से भरपूर है और बहुत अच्छे से तैयार किया गया है। कार्यक्रम में बताया गया कि 20 अगस्त को 'कविता तो कही नहीं ' का एक वर्चुअल विमोचन किया जायेगा, जिसमें पुस्तक की रचनाकार डॉ. अर्चना आर सिंह, हरियाणा सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा (आईएएस), लेखक व शिक्षाविद मंजू जैदका, विवेक अत्रे, पीयू में भारतीय रंगमंच विभाग की पूर्व अध्यक्ष रानी बलबीर कौर, रेणुका सलवान, लेखक, चित्रकार, मूर्तिकार व फोटोग्राफर लिपि परिदा, रेनी सिंह और पंजाब के राज्य सूचना आयुक्त खुशवंत सिंह हिस्सा लेंगे।
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