• चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानचित्र पर : चंडीगढ़ के पास डेरा बस्सी में स्थापित हुआ भारत का पहला एकीकृत चिकित्सा विज्ञान अस्पताल



डेराबस्सी 


इस रीजन में नवीनतम चिकित्सा प्रौद्योगिकी से सुसज्जित एक अनोखे अस्पताल ने काम करना शुरू कर दिया है। राजीव दीक्षित मेमोरियल हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज (एचआईआईएमएस) के नाम से खुला अस्पताल एक अनूठी चिकित्सा सुविधा है, जो न केवल क्षेत्र में, बल्कि भारत में भी एकीकृत चिकित्सा विज्ञान की अवधारणा लाने में अग्रणी है। अस्पताल के संस्थापक गुरु मनीष, जो एक प्रसिद्ध आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ हैं, और उनके साथ एचआईआईएमएस में एलोपैथी विभाग के युगल प्रभारी- डॉ. अमर सिंह आजाद (एमडी, सामुदायिक चिकित्सा व बाल रोग) और डॉ. अवधेश पांडे (एमबीबीएस, एमडी) तथा डॉ. सुयश पी. सिंह (बीएएमएस) एचआईआईएमएस, ने अस्पताल में आयोजित एक प्रेस वार्ता में एचआईआईएमएस के बारे में जानकारी दी।


'एक एकीकृत चिकित्सा विज्ञान अस्पताल विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों के विवेकपूर्ण मिश्रण का उपयोग करके रोगियों को ठीक करता है। एचआईआईएमएस में विभिन्न चिकित्सा विज्ञानों की उपयोगिता और उपचार क्षमता को एक छत के नीचे लाया गया है। इसके पीछे विचार यह है कि विविध चिकित्सा प्रणालियों की मदद से मानव शरीर की किसी भी बीमारी का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सके, ताकि रोग जड़ से ठीक हो सके,' गुरु मनीष ने कहा।


गुरु मनीष ने आगे कहा, 'विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों में अलग-अलग तरह की शक्ति होती है और एकीकृत अस्पताल हर प्रणाली की सर्वोत्तम क्षमता का उपयोग करेगा। '


एचआईआईएमएस, जो चंडीगढ़ से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, को डेरा बस्सी में, चंडीगढ़-दिल्ली राजमार्ग पर देवीनगर में (हल्दीराम के सामने) स्थापित किया गया है। यह अस्पताल आयुर्वेद, ऐलोपैथी, मधुमेह नियंत्रण, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा जैसी सुविधाएं प्रदान करता है। इनका प्रबंधन उन विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है जो अपने चुने हुए क्षेत्रों में शीर्ष विशेषज्ञ माने जाते हैं।


डॉ. अमर सिंह आजाद ने कहा, 'शुरुआत में यह अस्पताल 100 बिस्तरों की क्षमता के साथ स्थापित किया गया, जिसे जल्द ही बढ़ाया जाएगा। इसके पीछे विचार यह है कि इलाज की विभिन्न प्रणालियों के बीच कटुता नहीं है, बल्कि रोगों की चिकित्सा के लिए सभी दवा प्रणालियों की शक्ति का उपयोग किया जाना चाहिए। '


डॉ. सुयश पी. सिंह (बीएएमएस) एचआईआईएमएस, ने बताया, 'चिकित्सा की स्थिति और इसकी सीमा का पता लगाने के लिए सभी नवीनतम डायग्नोस्टिक उपकरणों का उपयोग किया जाएगा। इसके बाद शीर्ष चिकित्सकों की एक समिति यह तय करेगी कि किस दवा प्रणाली का प्रमुख रूप से उपयोग किया जाना है और कौन सा सहायक मेडिकल प्रोटोकॉल अन्य प्रणालियों से अपनाया जाना है। '


एचआईआईएमएस में न केवल नवीनतम तकनीकों एवं विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों की सर्वोत्तम वैज्ञानिक रूप से सिद्ध दवाओं का उपयोग करके रोगियों का इलाज होगा, बल्कि चिकित्सा विज्ञान संबंधी शोध भी होंगे।


जहां गुरु मनीष आयुर्वेद विंग के प्रमुख होंगे और डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी, जो मधुमेह को ठीक करने के लिए अपने क्रांतिकारी डीआईपी आहार के लिए जाने जाते हैं, मधुमेह रोगियों की देखभाल करेंगे, वहीं डॉ. अमर सिंह आजाद व डॉ. अवधेश पांडे ऐलोपैथी विभाग का नेतृत्व करेंगे।


एचआईआईएमएस में समय-समय पर पैरा-मेडिकल स्टाफ के लिए व्यावहारिक पाठ्यक्रम चलाने की भी योजना है, ताकि उनके कौशल को उन्नत किया जा सके। यहां डॉक्टरों के लिए नवीनतम जानकारी और कौशल प्रदान करने के लिए कार्यशालाएं भी आयोजित की जायेंगी।


एचआईआईएमएस ने साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवा उद्योग में संकीर्ण सोच से ऊपर उठना संभव है, जो किसी एक को सीमित करती है और विभिन्न चिकित्सा विज्ञानों के बीच शर्मनाक मौखिक संघर्ष का कारण बनती है, जैसा कि हाल ही में एलोपैथी और आयुर्वेद को लेकर छिड़ी बहस के दौरान दिखाई दिया।


गुरु मनीष ने अंत में कहा, 'हमारा एकमात्र उद्देश्य मानवता की सेवा करना रहा है। हम ऐसे रोगियों से कुछ भी शुल्क नहीं लेंगे, जो इसे सहन नहीं कर सकते। इसके अलावा, सिर्फ ऐलोपैथी पर आधारित अन्य कॉरपोरेट अस्पतालों की तुलना में हमारी दरें बहुत प्रतिस्पर्धी होंगी। '


 


इस अवसर पर, डॉ. चंदन के. कौशल, पूर्व जिला आयुर्वेद एवं यूनानी औषधि अधिकारी, मोहाली तथा डॉ. अक्षय कौशल (एमबीबीएस) भी उपस्थित थे।

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