कर्मभूमि द्वारा मंचित ‘‘जब मैने डिप्रेशन को जीताऔर रेड आर्ट्स पंजाब के ‘‘आखिर कदो तक ने ईनाम जीते

मोहाली 1 फरवरी : आज आर्यन्स ग्रुप ऑफ कॉलेजिस, चण्डीगढ में एक थियेटर फेस्टिवल का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कर्मभूमि द्वारा ‘‘जब मैने डिप्रेशन को जीताऔर रेड आर्ट्स पंजाब के ‘‘आखिर कदो तक’’ का मंचन किया गया। आर्यन्स ग्रुप के चेयरमैन, डॉ अंशु कटारिया ने कहा कि इस फेस्टिवल का उध्ेश्य निडर नेता बनाना है और नशीली दवाओं के खतरे और मानसिक तनाव पर अंकुश लगाना है जिसके परिणामस्वरूप निडर आर्कषक नेता पैदा होंगे जिनकी समाज तलाश कर रहा है।
जैसा कि हम सभी जानते है कि वर्ष 2020 में भारत की 65' आबादी 29 वर्ष के अन्दर होने के साथ एक युवा देश बनने जा रहा है, परन्तु इसी समय डबल्यूएचओ की रिपोर्ट भी रही है जिसके अनुसार भारत के हर चार युवाओं में से एक युवा मानसिक विकार का शिकार है और वर्ष 2020 तक यह गिनती दोगुनी हो जाएगी। युवाओं में सकारात्मक सोच पैदा करने के लिए भारत में पहली बार इस तरह के कदम उठाए गए है।
इस श्रृंखला के चार मुख्य पात्र है जो दुनिया को बदलने में विश्वास रखते है। इन मुख्य पात्रों का विवरण, पृष्ठभूमि और व्यक्तित्व का नीचे उल्लेख किया गया है, जिसमें अनुक्रिती सिंह के रूप में ओजसविनी गुल-तृतीय वर्ष की विद्यार्थी, युनिवॢसटी की कल्चरल प्रेजिडेंट है और एक कडक नारीवादी है। उनके जीवन का उध्ेश्य रचनात्मक लोगों को उद्यमशीलता के अवसर प्रदान करना है। कियारा ओबराय के रूप में गुंचा द्विवेदी कालेज की खिलाडी लडकी है, जाकि मनोविज्ञान (बीए) के दूसरे वर्ष में पढाई कर रही है। वह इस ग्रुप की मास्टरमाईंड है। काॢतक कपूर के रूप में जसविन्द्र सिंह एक समाज सेवक और एक प्राकृतिक परोपकारी है। वह मानवीय पक्ष से सुनहरी लडका है। राजवीर चौहान के रूप में राहुल चौधरी एक नेचुरल लीडर है।
पंजाब के युवाओं में नशीली दवाओं के खतरे पर विश्वविद्यालय के युवाओं द्वारा मंचित प्ले जिसे दीप जगदीप ने लिखा है नवदीप सिंह द्वारा निर्देशित है। इसका उध्ेश्य पंजाब के युवाओं में नशीली दवाओं के खतरे पर ध्यान केन्द्रित करना और समाज पर पडने वाले इसके प्रभाव के बारे में बताना है।

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